कृपया मेरी मदद करो

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(kripya meri madad karo)

प्रेषक : नितिन गुप्ता हाय दोस्तों, Dosti kripya meri madad karo

मैं यानि नितिन गुप्ता फ़िर एक बार आपके लिए एक कहानी तो नहीं बल्कि एक सच्ची दास्तान लिखने जा रहा हूँ.

दोस्तों समय बरबाद न करते हुए अपनी असली बात पर आते हैं,

बात उन दिनों की है जबकि मैंने नया नया मोबाइल ख़रीदा था. उन दिनों प्रीपेड कनेक्सन नहीं होते थे, सब कोई पोस्ट पेड यानी बिल वाले मोबाइल ही प्रयोग किया करते थे.

मैंने मोबाइल ख़रीदा तो कॉल का आना जाना भी जरुरी था. लेकिन किसी का फ़ोन ही नहीं आता था. एक दिन मुझे एक कागज़ पर एक नम्बर लिखा हुआ मिल गया, उस पर नम्बर के साथ किसी लड़की का नाम भी लिखा हुआ था. मेरे मन में आई कि क्यूँ ना इस नम्बर पे कॉल की जाए. सो मैंने कॉल कर दिया. वहां से लड़की की आवाज़ आई -जी कौन?

मैंने कहा- जी क्या मैं शालू से बात कर सकता हूँ?

वो बोली- जी आप बात कर रहे हैं !

मैं हैरान था क्योंकि कागज़ पर जिस लड़की का नाम लिखा था उसका नाम अंजना था. मैंने भी बातों का सिलसिला जारी रखा। मैंने कहा कि आप तो भूल ही गए हमें लेकिन हम आपको नहीं भूल पाए.

वो भी बात से बात जोड़ती गई कि आपने ही हमें भुला दिया वरना हम तो ऐसा सोच भी नहीं सकते.

मैं हैरान था कि मैं तो वैसे ही झूठ बोल रहा हूँ लेकिन ये तो हर एक बात का जवाब ऐसे दे रही है जैसे हम काफ़ी समय से एक दूसरे को जानते हों.

आधा घंटे बात करने के बाद वो बोली कि आपने ग़लत नम्बर डायल किया है और मेरा नाम शालू नहीं है, मैं बोर हो रही थी तो बस आपका फ़ोन आया और मैं टाइम पास करने लगी. आप दोबारा इस नम्बर पर फ़ोन न करें.

मैं उदास हो गया. लेकिन मैं मानने वाला नहीं था, २ दिन बाद फ़िर से उसका नम्बर डायल किया तो वो बोली- तुम्हे मैंने मना किया था और तुमने फ़िर से फ़ोन कर दिया !

तो मैंने कहा कि आज मैं बोर हो रहा हूँ तो क्या कंपनी नहीं दोगी?

तो वो मान गई और हम दोनों बात करने लगे. बातों -२ में उसने कहा कि मेरा बॉय फ्रेंड है और हम जल्दी ही शादी करने वाले हैं. तो मैं उसके बारे में ग़लत ना सोचूं और कोई ऐसी बात भी ना करूँ जिस से उसका दिल टूटे.

मैंने उसकी बात मान ली. उस दिन के बाद हम हर रोज़ बातें करने लगे. धीरे-२ हम सब तरह की बातें करने लगे. एक दिन हम दोनों एक दूसरे से मिलने को तैयार हुए. हम एक रेस्तौरां में मिले, तो मैं उसे देख कर दंग रह गया. वो एक खूबसूरत बदन की मालकिन थी. कद ५’६” ,३० /२६ /३० का फिगर होगा. रंग थोड़ा सांवला था लेकिन बहुत ही सेक्सी थी.

हमने साथ बैठकर काफ़ी ली। मैंने उसे कहा कि आप बहुत खूबसूरत हो तो वो शरमा गई। दिल में था कि उसे पकड़ के चूम लूँ लेकिन मैं उससे डरता भी था.

इस दिन के बाद हम कई बार मिले लेकिन मैं उसे कभी हाथ भी नहीं लगा पाया. हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे और हम सब तरह की बातें करने लगे.

एक दिन उस ने बताया कि उसकी शादी फिक्स हो गई है तो मैं उदास हो गया कि अब मेरी एक अच्छी दोस्त मुझ से जुदा हो जायेगी, उस का पति पता नहीं उसे मुझसे बात करने भी देगा या नहीं.

उसने मुझे अपनी शादी में बुलाया लेकिन मैं गया नहीं, थोड़े समय के बाद मेरी भी शादी फिक्स हो गई. इस के बाद मैं भी अपनी लाइफ में व्यस्त हो गया. ३ साल बीत गए और मेरे घर पे मेरी पत्नी ने एक चाँद से बेटे को जन्म दिया.

एक दिन मैं बाज़ार में घूम रहा था तो अचानक किसी ने मुझे आवाज़ दी तो मैं हैरान था कि अंजना मेरे सामने थी, उसने कहा कि वो २ दिन
पहले ही मायके आई थी.

मैंने उसका मोबाइल नम्बर पूछा तो उसने कहा कि तुमने अपना नम्बर बदल दिया है लेकिन मैंने नहीं बदला. उसने बताया कि उसके पति किसी ऑफिस के काम से टूर पर गए हैं तो वो १ महीने के लिए मायके में ही रहेगी. उसने मुझे किसी भी समय फ़ोन करने को कहा और कहा कि मुझसे उसे बहुत सी बातें करनी हैं.

अगले दिन मैंने उसे फ़ोन मिलाया. हम ने काफ़ी बातें की. बातों बातों में पता चला की अभी उसके कोई भी औलाद नहीं हुयी थी. उसने बताया कि उस के पति हर रोज़ शराब पी कर आते हैं और वो शराब के बाद सेक्स करना ठीक नहीं समझती.

Dosti kripya meri madad karo – antarvasna story

मैंने उसे समझाया कि सब ठीक हो जाएगा. हम फ़िर से हर रोज़ बातें करने लगे.

एक दिन अंजना ने मुझे अपने घर बुला लिया. मैं उसके घर चला गया. उसके मोम और डैड से मैं पहली बार मिला. उस का घर सड़क से
करीब एक किलोमीटर था, मतलब एक किलोमीटर पैदल का रास्ता था.

उसके घर पर बैठे हुए मुझे करीब ५ बज गए. मैंने कहा कि अब मुझे चलना चाहिए.

अंजना ने कहा कि वो मुझे मेरी गाड़ी तक छोड़ कर आएगी। मैंने मना किया तो वो नहीं मानी और साथ चलने को तैयार हो गई. रास्ते में चलते हुए उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं हैरान था कि आज उसने ये कैसे किया क्योंकि ३ साल कि दोस्ती में जिसने मुझे कभी हाथ भी नहीं लगाने दिया वो आज मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी है.

मैंने कहा कि ये क्या?

तो वो बोल पड़ी कि मैं ग़लत थी, मेरी पसंद ग़लत थी, मुझे तुम से अच्छा जीवन साथी नहीं मिल सकता था.

मैंने उसे कहा कि अब हम दोनों की शादी हो चुकी है और जैसे भी हो हमें अपने साथी को खुश रखना चाहिए.

वो बोली- मैं इन बातो को नहीं मानती. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूँ और तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ. मेरा पति हर रोज़ शराब के नशे में आता है और कुछ भी नहीं कर पाता.

मैं तुमसे एक दोस्त के रिश्ते से बस एक रात मांग रही हूँ. प्लीज़ मना मत करना.

मैंने कुछ समय माँगा और कहा कि मैं सोच कर बताऊंगा.

तो दोस्तों ये है किस्सा मेरा और मेरी दोस्त अंजना का.

तो दोस्तों अब आप ही बताओ कि मैं क्या करूँ क्या मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए ?

मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूँ लेकिन मैं अपने दोस्त का साथ भी नहीं छोड़ सकता !

अंजना बहुत दुखी है ,तो क्या मुझे उस की बात मान लेनी चाहिए?

आप मेरी मदद करें और मुझे बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

मैं आपका तहे दिल से शुक्र गुजार रहूँगा !

आपकी सलाह का मुझे मेरे मेल पर इन्तेज़ार रहेगा

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