जब पंकज की बीवी गर्भवती थी, तो उनको भी संयम रखना पड़ता था. पर एक दिन आखिरकार वो संयम टूटा और उनके अन्दर की वासना ने उनसे क्या करवा दिया? जानिए इन shadishuda mard vasna xnxx stories में..
वासना के अतिरेक में पंकज ने निराली के हाथ अपने कांपते हाथों में ले लिये. जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो उन्होंने रोमांचित हो कर उसे अपनी तरफ खींचा. झिझकते हुए निराली उनके इतने नजदीक आ गई कि उसकी गर्म सांसे उन्हें अपने गले पर महसूस होने लगी. पंकज ने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले कर उठाया और उसकी नशीली आंखों में झांकने लगे.
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निराली ने लजाते हुए पलकें झुका लीं पर उनसे छूटने की कोशिश नहीं की. उससे अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन पा कर पंकज ने अपने कंपकंपाते होंठ उसके नर्म गाल पर रख दिए. तब भी निराली ने कोई विरोध नहीं किया तो उन्होने एक झटके से उसे बिस्तर पर गिराया और उसे अपनी आगोश में ले लिया. निराली के मुंह से एक सीत्कार निकल गई.
… तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो पंकज की नींद खुल गई. उन्होंने देखा कि बिस्तर पर वे अकेले थे. वे बुदबुदा उठे … इसी वक़्त आना था …. पर वे घड़ी देख कर खिसिया गए. सुबह हो चुकी थी. दुबारा दस्तक हुई तो उन्होंने उठ कर दरवाजा खोला. बाहर निराली खड़ी थी, उनकी कामवाली, जो एक मिनट पहले ही उनके अधूरे सपने से ओझल हुई थी. उसके अन्दर आने पर पंकज ने दरवाजा बंद कर दिया. shadishuda mard vasna xnxx stories
जबसे उनकी पत्नी दीपिका गई थी वे बहुत अकेलापन महसूस कर रहे थे. दीपिका की दीदी शादी के पांच वर्ष बाद गर्भवती हुई थी. वे कोई जोखिम नही उठाना चाहती थीं इसलिए दो महीने पहले ही उन्होंने दीपिका को अपने यहाँ बुला लिया था. पिछले माह उनके बेटा हुआ था. जच्चा के कमजोर होने के कारण दीपिका को एक महीने और वहां रुकना था. इसलिये पंकज इस वक्त मजबूरी में ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे थे.
काफी समय से उनका मन अपने घर पर काम करने वाली निराली पर आया हुआ था. निराली युवा थी. उसके नयन-नक्श आकर्षक थे. उसका बदन गदराया हुआ था. अपनी पत्नी के रहते उन्होंने कभी निराली को वासना की नज़र से नहीं देखा था. दीपिका थी ही इतनी खूबसूरत! उसके सामने निराली कुछ भी नहीं थी. पर अब पत्नी के वियोग ने उन की मनोदशा बदल दी थी. निराली उन्हें बहुत लुभावनी लगने लगी थी और वे उसे पाने के लिए वे बेचैन हो उठे थे.
पंकज जानते थे कि निराली बहुत गरीब है. वो मेहनत कर के बड़ी मुश्किल से अपना घर चलाती है. उसका पति निठल्ला है और पत्नी की कमाई पर निर्भर है. उन्होंने सोचा कि पैसा ही निराली की सबसे बड़ी कमजोरी होगी और उसी के सहारे उसे पाया जा सकता है. पंकज जानते थे कि पैसे के लोभ में अच्छे-अच्छों का ईमान डगमगा जाता है. फिर निराली की क्या औकात कि उन्हें पुट्ठे पर हाथ न रखने दे. shadishuda mard vasna xnxx stories
निराली को हासिल करने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई थी. आज उन्होंने उस योजना को क्रियान्वित करने का फैसला कर लिया. निराली के आने के बाद वे अपने बिस्तर पर लेट गए और कराहने लगे. निराली अंदर काम कर रही थी. जब उसने पंकज के कराहने की आवाज सुनी तो वो साड़ी के पल्लू से हाथ पोछती हुई उनके पास आयी. उन्हें बेचैन देख कर उसने पूछा, ‘‘बाबूजी, क्या हुआ? … तबियत खराब है?’’
दर्द का अभिनय करते हुए पंकज ने कहा, “सर में बहुत दर्द है.”
“आपने दवा ली?”
“हां, ली थी पर कोई फायदा नहीं हुआ. जब दीपिका यहाँ थी तो सर दबा देती थी और दर्द दूर हो जाता था. पर अब वो तो यहाँ है नहीं.”
निराली सहानुभूति से बोली, ‘‘बाबूजी, आपको बुरा न लगे तो मैं आपका सर दबा दूं?’’
‘‘तुम्हे वापस जाने में देर हो जायेगी! मैं तुम्हे तकलीफ़ नहीं देना चाहता … पर घर में कोई और है भी नहीं,’’ पंकज ने विवशता दिखाते हुए कहा.
“इसमें तकलीफ़ कैसी? और मुझे घर जाने की कोई जल्दी भी नहीं है,” निराली ने कहा.
निराली झिझकते हुए पलंग पर उनके पास बैठ गई. वो उनके माथे को आहिस्ता-आहिस्ता दबाने और सहलाने लगी. एक स्त्री के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही पंकज का शरीर उत्तेजना से झनझनाने लगा. उन्होंने कुछ देर स्त्री-स्पर्श का आनंद लिया और फिर अपने शब्दों में मिठास घोलते हुए बोले, ‘‘निराली, तुम्हारे हाथों में तो जादू है! बस थोड़ी देर और दबा दो.’’
कुछ देर और स्पर्श-सुख लेने के बाद उन्होंने सहानुभूति से कहा, ‘‘मैंने सुना है कि तुम्हारा आदमी कोई काम नहीं करता. वो बीमार रहता है क्या?’’
‘‘बीमार काहे का? … खासा तन्दरुस्त है पर काम करना ही नहीं चाहता!’’ निराली मुंह बनाते हुए बोली.
‘‘फिर तो तम्हारा गुजारा मुश्किल से होता होगा?’’
‘‘क्या करें बाबूजी, मरद काम न करे तो मुश्किल तो होती ही है,’’ निराली बोली.
‘‘कितनी आमदनी हो जाती है तुम्हारी?’’ पंकज ने पूछा.
‘‘वही एक हजार रुपए जो आपके घर से मिलते हैं.’’
“कहीं और काम क्यों नहीं करती तुम?”
“बाबूजी, आजकल शहर में बांग्लादेश की इतनी बाइयां आई हुई हैं कि घर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं.” निराली दुखी हो कर बोली.
“लेकिन इतने कम पैसों में तुम्हारा घर कैसे चलता होगा?” shadishuda mard vasna xnxx stories
“अब क्या करें बाबूजी, हम गरीबों की सुध लेने वाला है ही कौन?” निराली विवशता से बोली.
थोड़ी देर एक बोझिल सन्नाटा छाया रहा. फिर पंकज मीठे स्वर में बोले, ‘‘अगर तुम्हे इतने काम के दो हज़ार रुपए मिलने लगे तो?’’
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निराली अचरज से बोली, ‘‘दो हज़ार कौन देता है, बाबूजी?’’
‘‘मैं दूंगा.’’ पंकज ने हिम्मत कर के कहा और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया.
निराली उनके चेहरे को आश्चर्य से देखने लगी. उसे समझ में नहीं आया कि इस मेहरबानी का क्या कारण हो सकता है. उसने पूछा, ‘‘आप क्यों देगें, बाबूजी?’’
निराली के हाथ को सहलाते हुए पंकज ने कहा, ‘‘क्योंकि मैं तुम्हे अपना समझता हूँ. मैं तुम्हारी गरीबी और तुम्हारा दुःख दूर करना चाहता हूँ.”
“और मुझे सिर्फ वो ही काम करना होगा जो मैं अभी करती हूँ?”
“हां, पर साथ में मुझे तुम्हारा थोड़ा सा प्यार भी चाहिए. दे सकोगी?’’ पंकज ने हिम्मत कर के कहा.
कुछ पलों तक सन्नाटा रहा. फिर निराली ने शंका व्यक्त की, ‘‘बीवीजी को पता चल गया तो?’’
‘‘अगर मैं और तुम उन्हें न बताएं तो उन्हें कैसे पता लगेगा?’’ पंकज ने उत्तर दिया. अब उन्हें बात बनती नज़र आ रही थी.
‘‘ठीक है पर मेरी एक शर्त है …’’
यह सुनते ही पंकज खुश हो गए. उन्होंने निराली को टोकते हुए कहा, ‘‘मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है. तुम बस हां कह दो.’’
‘‘मैं कहाँ इंकार कर रही हूं पर पहले मेरी बात तो सुन लो, बाबूजी.’’ निराली थोड़ी शंका से बोली. shadishuda mard vasna xnxx stories
अब पंकज को इत्मीनान हो गया था कि काम बन चुका है. उन्होंने बेसब्री से कहा, ‘‘बात बाद में सुनूंगा. पहले तुम मेरी बाहों में आ जाओ.’’
निराली कुछ कहती उससे पहले उन्होंने उसे खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया. उनके होंठ निराली के गाल से चिपक गए. वे उत्तेजना से उसे चूमने लगे. निराली ने किसी तरह खुद को उनसे छुड़ाया, “बाबूजी, आज नहीं. … आपको दफ्तर जाना है. कल इतवार है. कल आप जो चाहो कर लेना.”
अगले चौबीस घंटे पंकज पर बहुत भारी पड़े. उन्हें एक-एक पल एक साल के बराबर लग रहा था. वे निराली की कल्पना में डूबे रहे. उनकी हालत सुहागरात को दुल्हन की प्रतीक्षा करते दूल्हे जैसी थी. किसी तरह अगली सुबह आई. रोज की तरह सुबह आठ बजे निराली भी आ गई. जब वो अन्दर जाने लगी तो पंकज ने पीछे से उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. वे उसे तुरंत बैडरूम में ले जाना चाहते थे लेकिन निराली ने उनकी पकड़ से छूट कर कहा, “ये क्या, बाबूजी? मैं कहीं भागी जा रही हूँ? पहले मुझे अपना काम तो कर लेने दो.”
“काम की क्या जल्दी है? वो तो बाद में भी हो सकता है!” पंकज ने बेसब्री से कहा.
“नहीं, मैं पहले घर का काम करूंगी. आपने कहा था ना कि आप मेरी हर शर्त मानेंगे.”
अब बेचारे पंकज के पास कोई जवाब नहीं था. उन्हें एक घंटे और इंतजार करना था. वे अपने बैडरूम में चले गए और निराली अपने रोजाना के काम में लग गई. पंकज ने कितनी कल्पनाएं कर रखी थीं कि वे आज निराली के साथ क्या-क्या करेंगे! एक घंटे तक वही कल्पनाएं उनके दिमाग में घूमती रहीं.
बीच-बीच में उन्हें यह भी लग रहा था कि निराली आज काम में ज्यादा ही वक़्त लगा रही है! पंकज का एक घंटा बड़ी बेचैनी से बीता. कभी वे बिस्तर पर लेट जाते तो कभी कुर्सी पर बैठते … कभी उठ कर खिड़की से बाहर झांकते तो कभी अपनी तैय्यारियों का जायज़ा लेते (उन्होंने तकिये के नीचे एक लग्जरी कन्डोम का पैकेट और जैली की एक ट्यूब रख रखी थी.) shadishuda mard vasna xnxx stories
नौ बज चुके थे. धूप तेज हो गई थी. पंखा चलने और खिड़की खुली होने के बावजूद कमरे में गर्मी बढ़ गई थी. पर पंकज को इस गर्मी का कोई एहसास नहीं था. उन्हें एहसास था सिर्फ अपने अन्दर की गर्मी का. वे खिड़की के पर्दों के बीच से बाहर की तरफ देख रहे थे कि उन्हें अचानक कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई दी. उन्होंने मुड़ कर देखा. निराली दरवाजे के पास खड़ी थी. उसकी नज़रें शर्म से झुकी हुई थीं.
निराली के कपडे हमेशा जैसे ही थे पर पंकज को लाल रंग की साडी और ब्लाउज में वो नयी नवेली दुल्हन जैसी लग रही थी. वे कामातुर हो कर निराली की तरफ बढे. उनकी कल्पना आज हकीकत में बदलने वाली थी. पास पहुँच कर उन्होने निराली को अपने सीने से लगा लिया और उसे बेसब्री से चूमने लगे. उन्होने अब तक अपनी पत्नी के अलावा किसी स्त्री को नहीं चूमा था. निराली को चूमने में उन्हें एक अलग तरह का मज़ा आ रहा था. जैसे ही उनका चुम्बन ख़त्म हुआ, निराली थोड़ा पीछे हट कर बोली, “ऐसी क्या जल्दी है, बाबूजी? … खिड़की से किसी ने देख लिया तो?”
“खिड़की के बाहर तो सुनसान है. वहां से कौन देखेगा?”
“मर्द लोग ऐसी ही लापरवाही करते हैं. उनका क्या बिगड़ता है? बदनाम तो औरत होती है. … हटिये, मैं देखती हूँ.”
निराली खिड़की के पास गई. उसने पर्दों के बीच से बाहर झाँका. इधर-उधर देखने के बाद जब उसे तसल्ली हो गई तो उसने पर्दों को एडजस्ट किया और पंकज के पास वापस आ कर बोली, “सब ठीक है. अब कर लीजिये जो करना है.”
“करना तो बहुत कुछ है. पर पहले मैं तुम्हे अच्छी तरह देखना चाहता हूँ.”
“देख तो रहे हैं मुझे, अब अच्छी तरह कैसे देखेंगे?”
“अभी तो मैं तुम्हे कम और तुम्हारे कपड़ों को ज्यादा देख रहा हूँ. अगर तुम अपने कपडों से बाहर निकलो तो मैं तुम्हे देख पाऊंगा.” पंकज ने कहा.
“मुझे शर्म आ रही है, बाबूजी. पहले आप उतारिये,” निराली ने सर झुका कर कहा.
नौकरानी के सामने कपडे उतारने में पंकज को भी शर्म आ रही थी पर इसके बिना आगे बढ़ना असंभव था. पंकज अपने कपड़े उतारने लगे. यह देख कर निराली ने भी अपनी साडी उतार दी. पंकज अपना कुरता उतार चुके थे और अपना पाजामा उतार रहे थे. निराली को उनके लिंग आकार अभी से दिखाई देने लगा था. उसने अपना ब्लाउज उतारा. पंकज की नज़र उसकी छाती पर थी. जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी, उसके दोनो स्तन उछल कर आज़ाद हो गये.
फिर उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया. उसने अन्दर चड्डी नही पहनी थी. … उसका गदराया हुआ बदन, करीब 36 साइज़ के उन्नत स्तन, तने हुए निप्पल, पतली कमर, पुष्ट जांघें और जांघों के बीच एक हल्की सी दरार … यह सब देख कर पंकज की उत्तेजना सारी हदें पर कर गई. उन्होंने अनुभव किया कि निराली का नंगा शरीर दीपिका से ज्यादा उत्तेजक है. वो अब उसे पा लेने को आतुर हो गये. shadishuda mard vasna xnxx stories
अब तक पंकज भी नंगे हो चुके थे. निराली ने लजाते हुए उनके लिंग को देखा. उसे वो कोई खास बड़ा नहीं लगा. उससे बड़ा तो उसके मरद का था. वो सोच रही थी कि यह अन्दर जाएगा तो उसे कैसा लगेगा. … शुरुआत उसने ही की. वो पंकज के पास गई और उनके लिंग को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पा कर लिंग तुरंत तनाव में आ गया. पंकज ने भी उसके स्तनो को थाम कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद पंकज निराली को पलंग पर ले गए. दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये. दीपक ने अपने एक हाथ से उसके निपल को मसलते हुए कहा, “निराली, … तुम नही जानती कि मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था!”
“मैं खुश हूं कि मेरे कारण आपको वो सुख मिल रहा है जिसकी आपको जरूरत थी,” निराली ने पंकज के लिंग को मसलते हुए कहा.
पंकज फुसफुसा कर बोले, “तुम्हारे हाथों में जादू है, निराली.”
निराली बोली, “अच्छा? लेकिन यह तो मेरे हाथ में आने से पहले से खड़ा है.”
पंकज भी नहीं समझ पा रहे थे कि आज उनके लिंग में इतना जोश कहाँ से आ रहा है. वो भी अपने लिंग के कड़ेपन को देख कर हैरान थे और कामोत्तेजना से आहें भर रहे थे. … निराली ने अपनी कोहनी के बल अपने को उठाया और वो पंकज की जांघों के बीच झुकने लगी. पंकज यह सोच कर रोमांचित हो रहे थे कि निराली उनके लिंग को अपने मुह में लेने वाली है. उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि निराली जैसी कम पढ़ी स्त्री मुखमैथुन से परिचित होगी. उनकी पढ़ी-लिखी मॉडर्न पत्नी ने भी सिर्फ एक-दो बार उनका लिंग मुंह में लिया था और फिर जता दिया था कि उन्हें यह पसंद नहीं है.
“ओह! … कितना उत्तेजक होगा यह अनुभव!” पंकज ने सोचा और धीमे से निराली के सर के पीछे अपना हाथ रखा. उसके सर को आगे की तरफ धकेल कर उन्होंने यह जता दिया कि वे भी यही चाहते है. निराली ने उनके लिंगमुंड को चूमा. उसके होंठ लिंग के ऊपरी हिस्से को छू रहे थे और तीन-चार बार चूमने के बाद निराली ने अपनी जीभ लिंग पर फिरानी शुरू कर दी ….
पंकज आँखें बंद कर के इस एहसास का आनंद ले रहे थे. निराली ने अपना मुंह खोला और लिंग को थोड़ा अंदर लेते हुए अपने होंठों से कस लिया. उसके ऐसा करते ही पंकज को अपने लिंग पर उसके मुह की आंतरिक गरमाहट महसूस हुई. उन्हें लगा कि उनका वीर्य उसी समय निकल जाएगा.
उन्होंने अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर के अपनी उत्तेजना और रोमांच पर काबू किया. फिर उन्होंने अपने हिप्स उसके मुह की तरफ उठा दिये जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लिंग उसके मुह मे जा सके और वो उसके पूरे मुह की गरमाहट अपने लिंग पर महसूस कर सके. लेकिन उनकी उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि वे निराली का सर पकड़ कर उसे अपने लिंग पर ऊपर नीचे करने लगे. अब निराली का मुह पूरे लिंग को अपने अंदर समा चुका था. shadishuda mard vasna xnxx stories
निराली कुछ देर और उनके लिंग को अपने मुह में लिए चूसती रही पर पंकज का यौन-तनाव अब बर्दाश्त के बाहर हो गया था. उन्होंने माला को चित लिटा दिया. वो समझ गई कि अब वक्त आ चुका है. उसने अपनी टाँगे चौड़ी कर दी. पंकज उस की फैली हुई टाँगों के बीच आये और उसके ऊपर लेट गये.
वे उसके गरम और मांसल शरीर का स्पर्श पा कर और भी कामातुर हो गए. उनका उत्तेजित लिंग निराली की योनि से टकरा रहा था. उनकी बाँहें निराली के गिर्द भिंच गयीं और उनके नितम्ब बरबस ऊपर-नीचे होने लगे. निराली ने अपनी टांगें ऊपर उठा दी. लिंग ने अनजाने में ही अपना लक्ष्य पा लिया और योनी के अन्दर घुस गया.
पंकज अपने लिंग पर योनि की गरमाहट को पूरी तरह से महसूस कर पा रहे थे. योनी की जकड़ उतनी मजबूत नहीं थी जितनी उनकी पत्नी की योनी की होती थी. लेकिन लिंग पर नई योनी कि गिरफ्त रोमांचकारी तो होती ही है और पंकज भी इसका अपवाद नहीं थे. लिंग पर नई योनी का स्पर्श, शरीर के नीचे नई स्त्री का शरीर और आँखों के सामने एक नई स्त्री का चेहरा – इन सब ने पंकज को उतेजना की पराकाष्ठ पर पंहुचा दिया.
उनका लिंग जल्दी वीर्यपात न कर दे इसलिये अपना ध्यान योनी से हटाने के लिए पंकज ने निराली के निचले होंठ को अपने होंठों में दबाया और उसे चूसने लगे. निराली ने भी उनका साथ दिया और वो उनका ऊपर वाला होंठ चूसने लगी. अब पंकज ने अपनी जीभ निराली के मुह में घुसा दी. निराली भी पीछे नहीं रही.
दोनों की जीभ एक-दूसरी से लड़ने लगीं. इसका परिणाम यह हुआ कि पंकज अपनी उत्तेजना पर काबू खो बैठे. उनके नितम्ब उन के वश में नहीं रहे और बेसाख्ता फुदकने लगे. उनका लिंग सटासट योनि के अंदर-बाहर हो रहा था. उसमे निरंतर स्पंदन हो रहा था. उनकी साँसे तेज हो गई थी. उनके मचलने के कारण लिंग योनि के बाहर निकल सकता था.
निराली ने इस सम्भावना को ताड़ लिया. उसने अपने पैर उनके नितम्बों पर कस कर उनके धक्कों को नियंत्रित करने की कोशिश की. वह सफल भी हुई पर एक मिनट बाद पंकज का लिंग फिर से बेलगाम घोड़े की तरह सरपट दौड़ने लगा. उनका मुंह खुला हुआ था और उससे आहें निकल रही थी. लिंग तूफानी गति से अंदर बाहर हो रहा था. अचानक पंकज का शरीर अकड़ गया और उनके लिंग ने योनी में कामरस निकाल दिया. वे निराली के ऊपर एक कटी हुई पतंग की तरह गिर गए. … वे अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझ रहे थे कि एक लम्बे अर्से के बाद आज उन्हें एक पूर्ण तृप्ति देने वाले संभोग का अनुभव हुआ था.
जब पंकज कामोन्माद से उबरे तो उन्हें एहसास हुआ कि निराली ने तो उन्हें तृप्ति दे दी थी पर वे उसे तृप्त नहीं कर पाए थे. वे निराली के ऊपर से उतर कर उसकी बगल में लेट गए. लंबी साँसे लेते हुए वे बोले, “निराली, बहुत जल्दी हो गया ना! तुम तो शायद प्यासी ही रह गई.”
निराली उनके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली, “पहली बार नई औरत के साथ ऐसा हो जाता है. पर अभी हमारे पास वक़्त है. आप थोड़ी देर आराम कीजिये, मैं चाय बना कर लाती हूं.” shadishuda mard vasna xnxx stories
वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर पहले बाथरूम में गई और फिर किचन में. उसके जाने के दो मिनट बाद पंकज बाथरूम में गये. वापस आ कर उन्होने अंडरवियर पहना और कुर्सी पर बैठ गये. पिछले कुछ मिनटों में जो उनके साथ हुआ था वो उनके दिमाग में एक फिल्म की तरह चलने लगा. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उन्होंने अपनी पत्नी के अलावा किसी और स्त्री के साथ सम्भोग किया था! पर सामने पड़े निराली के कपड़े बता रहे थे कि यह सच था.
आज पंकज ने अपनी सीमायें लांग दी थी, एक परायी स्त्री के साथ सम्बन्ध बना लिए. वो भी अपनी कामवाली के साथ! अब इस xnxx story में आगे पढ़िए ये नयी आज़ादी पंकज को कहाँ ले जाती है..
निराली उनके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली, “पहली बार नई औरत के साथ ऐसा हो जाता है. पर अभी हमारे पास वक़्त है. आप थोड़ी देर आराम कीजिये, मैं चाय बना कर लाती हूं.”
वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर पहले बाथरूम में गई और फिर किचन में. उसके जाने के दो मिनट बाद पंकज बाथरूम में गये. वापस आ कर उन्होने अंडरवियर पहना और कुर्सी पर बैठ गये. पिछले कुछ मिनटों में जो उनके साथ हुआ था वो उनके दिमाग में एक फिल्म की तरह चलने लगा. उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उन्होंने अपनी पत्नी के अलावा किसी और स्त्री के साथ सम्भोग किया था! पर सामने पड़े निराली के कपड़े बता रहे थे कि यह सच था.
वे थोड़े लज्जित भी थे – एक तो इसलिये कि उन्होंने एक नौकरानी के साथ यह काम किया था और दूसरे इसलिये कि वे उसे तुष्ट नहीं कर पाए.
पंकज अपने ख्यालों में खोये हुए थे कि निराली उनके लिए चाय ले कर आ गई. उन्हें चाय का कप दे कर वह उनके सामने जमीन पर बैठ कर चाय पीने लगी. उनको उदास देख कर वह बोली, “दुखी क्यों हो रहे हैं, बाबूजी? मैंने कहा ना कि हमारे पास वक्त है. इस बार सब ठीक होगा!”
“इस बार?” पंकज निराशा से बोले. “… अब दुबारा होना तो बहुत मुश्किल है!”
“क्या बात करते हैं, बाबूजी?” निराली विश्वास से बोली. “आप चाय पी लीजिये. फिर मैं आपके लंड को तैयार न कर दूं तो मेरा नाम निराली नहीं.”
यह सुन कर पंकज चौंक गए, न सिर्फ निराली के आत्मविश्वास से बल्कि उसकी भाषा से भी. वे ऐसे शब्दों से अनभिज्ञ नहीं थे, अनभिज्ञ तो कोई भी नहीं होता. पर उन्होंने अब तक किसी भी स्त्री के साथ ऐसी भाषा में बात नहीं की थी. किसी स्त्री के मुंह से ऐसे शब्द सुनना तो और भी विस्मयकारी था. उनकी पत्नी तो इतनी शालीन थी कि उनके सामने ऐसी भाषा का प्रयोग करना अकल्पनीय था. shadishuda mard vasna xnxx stories
उनको चकित देख कर निराली फिर बोली, “आपको यकीन नहीं हो रहा है, बाबूजी? अभी देख लेना … आपके लंड की क्या मजाल कि मेरे मुंह में आ जाए और खड़ा न हो!”
अब पंकज समझ गए कि निराली जिस तबके की थी उसमे मर्दों और औरतों द्वारा ऐसी भाषा में बोलना सामान्य होता होगा. चाय ख़त्म हो चुकी थी. निराली किचन में कप रख आई. उसने पंकज के सामने बैठ कर उनका अंडरवियर उतारा. उनके लंड को हाथ में ले कर वो बोली, “मुन्ना, बहुत सो लिए. अब उठ जाओ. अब तुम्हे काम पर लगना है.”
थोड़ी देर लंड को हाथ से सहलाने के बाद उसने सुपाडा अपने मुंह में ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी. जल्द ही उसकी जादुई जीभ का असर दिखा. निर्जीव से पड़े लंड में जान आने लगी. धीरे धीरे उसकी लम्बाई और सख्ती बढ़ने लगी. निराली ने पूरे लंड को अपने मुंह में लिया और उसे कस कर चूसने लगी.
पंकज ने उसके सिर पर हाथ रख कर अपनी आँखे बंद कर ली. … उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनका लंड इतनी जल्दी दुबारा खड़ा हो गया था! निराली उनके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे वो उसके रस को चूस कर ही निकालना चाहती हो. पंकज इस सुखद एहसास का भरपूर मज़ा ले रहे थे, ”ओsssह…! निराली … थोड़ा धीरे … आsssह्ह …!”
निराली पांच मिनट तक उनका लंड चूसती रही. जब उसे यकीन हो गया कि अब लंड से काम लिया जा सकता है तो उसने पंकज को पलंग पर लेटने को कहा. जब पंकज लेट गए तब उसने अपना ब्लाउज़ और पेटीकोट उतारना शुरू किया. पंकज कामविभोर हो कर उसे निर्वस्त्र होते हुए देख रहे थे. नंगी होने के बाद निराली उनकी जांघों पर सवार हो गई. वो आगे झुक कर उनके होंठों को चूसने लगी. पंकज ने उसके स्तनों को अपने हाथों में लिया और उन्हें हल्के हाथों से दबाने लगे. निराली ने अपना मुंह उठा कर कहा, “बाबूजी, जोर से दबाओ ना. मेरी चून्चियां बीवीजी जितनी नाज़ुक नहीं हैं!”
पंकज उसकी चून्चियों को तबीयत से दबाने और मसलने लगे. निराली ने फिर से अपने रसीले होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनसे जीभ लड़ाने लगी. पंकज को ऐसा लग रहा था मानो वो स्वप्नलोक की सैर कर रहे हों. पलंग पर स्त्री का ऐसा सक्रिय और आक्रामक रूप वे पहली बार देख रहे थे. जब वे बुरी तरह काम-विव्हल हो गए तो उन्होंने निराली से याचना के स्वर में कहा, “बस निराली, … अब अन्दर डालने दो.”
निराली ने शरारत से उन्हें देखा और पूछा, “कहाँ डालना चाहते हो, बाबूजी? … मुंह में या मेरी चूत में?”
… पंकज ने शर्मा कर कहा, “तुम्हारी चूत में.” shadishuda mard vasna xnxx stories
निराली ने अपनी चूत पर थूक लगाया और उसे पंकज के लंड से सटा दिया. लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसने अपनी कमर को नीचे धकेला. एक ही धक्के में चूत ने पूरे लंड को अपने अन्दर निगल लिया. अब निराली हौले-हौले धक्के लगाने लगी.
निराली की गर्म चूत में जा कर पंकज के लंड में जैसे आग सी लग गयी. उनके नितम्ब अनायास ही उछलने लगे पर इस बार कमान निराली के हाथों में थी. उसने पंकज की जाँघों को अपनी जाँघों के नीचे दबाया और उन्हें उछलने से रोक दिया. उसने पंकज से कहा, “बाबूजी, आप आराम से लेटे रहो और मुझे अपना काम करने दो.”
पंकज ने समर्पण कर दिया. जब निराली ने देखा कि पंकज अब उसके कंट्रोल में हैं तो उसने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. पंकज लेटे-लेटे निराली के धक्कों का मज़ा लेने लगे. निराली एक-दो मिनट धक्के मारती और जब उसे लगता कि पंकज झड़ने वाले हैं तो वो रुक जाती. ऐसे ही वो एक बार धक्कों के बीच रुकी तो उसने पूछा, “बाबूजी, कभी बीवीजी भी आपको ऐसे चोदती हैं या वे सिर्फ चुदवाती हैं?”
पंकज ने थोडा शरमाते हुए कहा, “वे तो सिर्फ नीचे लेटती हैं. बाकी सब मैं ही करता हूं.”
“बाबूजी, मेरा मरद तो मुझे हर तरह से चोदता है – कभी नीचे लिटा कर, कभी ऊपर चढ़ा कर, कभी घोड़ी बना कर तो कभी खड़े-खड़े,” निराली ने कहा.
पंकज को लगा कि उसे चुदाई के साथ-साथ निराली की अश्लील बातें सुनने में भी मज़ा आ रहा है. … चुदाई और निराली की बातें दो-तीन मिनट और चलीं. फिर पंकज को लगा कि वे आनन्दातिरेक में आसमान में उड़ रहे है. जब आनंद का एहसास अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तो उन्होने निराली की कमर पकड़ ली. उनके नितंब अपने आप तेज़ी से फुदकने लगे. वैसे भी उन्होंने बहुत देर से अपने को रोक रखा था. उन्होंने निराली को अपनी बाहों में भींच लिया.
उन्हें अपने लंड पर उसकी चूत का स्पंदन महसूस हो रहा था जिसे वे सहन नहीं कर पाये. उनका लंड निराली की चूत में वीर्य की बौछार करने लगा. जब निराली की चूत ने उनके वीर्य की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली तो उनका लंड सिकुडने लगा. दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे लेटे रहे. … कुछ देर बाद जब पंकज की साँसे सामान्य हुईं तो उन्होंने कहा, “निराली, तुमने आज जो आनंद मुझे दिया है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा.” shadishuda mard vasna xnxx stories
महीना समाप्त हुआ. निराली को तनख्वाह देनी थी. पंकज ने वादे के मुताबिक उसे एक की बजाय दो हज़ार रुपये दिए. पर निराली ने एक हज़ार रुपये वापस करते हुए उन्हें कहा, “बाबूजी, मेरे मर्द ने मना किया है. मैं एक हज़ार ही लूंगी.”
यह सुन कर पंकज चौंक गए. उन्होंने आश्चर्य से कहा, “क्या? … तुमने उसे यह बता दिया?”
निराली ने गर्दन झुका कर जवाब दिया, “इतनी बड़ी बात मैं उससे कैसे छुपाती. उसके हाँ करने पर ही मैं आपकी इच्छा पूरी करने को तैयार हुई थी.”
पंकज को यकीन नहीं हो रहा था कि निराली का पति यह कर सकता है. उन्होंने विस्मय से पूछा, “तुम्हारा पति यह मान गया? उसने तुम्हे मेरे से चुदने की इजाज़त दे दी … और इसके बदले में वो कुछ नहीं चाहता?”
‘‘आपने मेरे मरद को ग़लत समझा है … वह कोई धर्मात्मा नहीं है … वो भी आपकी तरह औरतों का रसिया है. उसे सिर्फ इतना चाहिए कि जैसे उसने आपकी इच्छा पूरी की वैसे ही आप उसकी इच्छा पूरी कर दें.’’
निराली की बात से पंकज चकरा गए. वे यह तो समझ गये कि निराली का पति एक नई औरत चाहता है और निराली को इस में कोई ऐतराज़ नहीं है पर उन्हें यह समझ में नहीं आया कि इसमें वो क्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “लेकिन इस के लिए तो एक हज़ार काफी होंगे! … मेरा मतलब है कि इतने में तो वो एक अच्छी-खासी औरत का इंतजाम कर सकता है.”
“क्या कह रहे हैं, बाबूजी?” निराली ने नाराज़गी से कहा. “मेरा मरद ऐसा नहीं है. वो बाज़ारू औरतो के पास नहीं जाता.”
“तो … तो फिर क्या चाहता है वो?”
“बीवी के बदले बीवी! … बीवीजी के आने में अभी टाइम है पर वो इतना इंतजार कर लेगा. जिस दिन वो वापस आयें, उस दिन आप उन्हें मेरे मरद के पास भेज देना.”
यह सुन कर पंकज का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा. उन्होंने क्रोध से कहा, ‘‘जानती हो क्या कह रही हो तुम?’’
‘‘अदला-बदली की ही तो बात कर रही हूं. एक हज़ार में बाज़ारू औरत तो आप भी ला सकते थे … फिर आप मुझे एक हज़ार रुपये क्यों दे रहे थे? … इसीलिये ना कि मैं धंधा करने वाली बाज़ारू औरत नहीं हूं!”
“यह तो धोखाधड़ी है! तुमने यह पहले क्यों नहीं बताया?” पंकज ने तमतमा कर पूछा.
“बाबूजी, मैंने तो कहा था कि मेरी एक शर्त है,” निराली ने कहा. “पर आपने उसे सुने बिना ही कह दिया कि आपको मेरी हर शर्त मंजूर है.”
पंकज को याद आया कि निराली की बात सच थी. पर वो अब भी अपने आपे से बाहर थे. वे गुस्से से बोले, “एक हज़ार कम हैं तो दो हज़ार ले लो.” shadishuda mard vasna xnxx stories
अब निराली भी उसी लहज़े में बोली, “बाबूजी, आप बीवीजी को मेरे मरद के पास भेज देना, मैं आपको दो हज़ार रुपये दे दूंगी!”
पंकज अब गुस्से से पागल हो गए. वे बोले, ‘‘तू अपनी औकात भूल गई है! अपने पैसे ले और जा. … और हां, कल से काम पर नहीं आना.’’
निराली को उन पर गुस्सा भी आया और दया भी. वो सहज स्वर में बोली, ‘‘मैं तो आपकी औकात देख रही हूँ, बाबूजी! आपकी बीवी सती सावित्री और गरीब की बीवी रंडी! … यह है बड़े लोगों की औकात! … ठीक है, जाती हूं अब.’’
निराली जाने के लिए मुड़ी. पंकज का वासना का नशा अब पूरी तरह से उतर चुका था. निराली को जाती हुई देख कर वे सोच रहे थे कि आज वे बाल-बाल बचे हैं. तभी निराली फिर मुड़ी. उसने अपना मोबाइल ऑन किया और उसे पंकज के सामने कर दिया. उसे देख कर पंकज का सर घूमने लगा. उन्हें लगा कि वे गश खा कर गिरने वाले हैं. … मोबाइल में उनकी और निराली की चुदाई का वीडियो था. वे किसी तरह संभले और उनके मुंह से निकला, “ ये…! ये कैसे…!!!”
निराली को उनकी हालत देख कर मज़ा आ रहा था. उसने उनकी दुविधा दूर करते हुए कहा, “आपको याद है कि जब आपने पहली बार मुझे दबोचा था, तब मैने क्या कहा था? … ‘आज नहीं, कल इतवार है. कल आप जो चाहो कर लेना.’ … अगले दिन आपके कमरे में आ कर मैंने खिड़की से बाहर देखा था और पर्दों को खिसकाया था. मैंने पर्दों के बीच थोड़ी जगह छोड़ दी थी. … बस, बाकी काम बाहर से मेरे मरद ने कर दिया.”
अब पंकज की हालत ऐसी थी कि काटो तो खून नहीं. वे अवाक् थे कि यह क्या हो गया? हुआ भी है या नहीं? एक पल उन्हें यह सपना लगता पर दूसरे पल सामने खड़ी निराली उन्हें हकीकत लगती. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें?
निराली ने मोबाइल बंद कर के कहा, “आप ठीक तो हैं, बाबूजी? आपकी तबियत कुछ बिगड़ी हुई सी लग रही है!”
पंकज जैसे नींद से जागे, “हूं? … मैं! … हां, … ठीक हूं … तुम … तुम क्या करोगी? … मतलब अब …?” shadishuda mard vasna xnxx stories
अब स्थिति पूरी तरह निराली के काबू में थी. वह खुश हो कर बोली, “अब तो तीन ही रास्ते हैं. … आप आराम से बैठ जाइए ना. … पहला रास्ता यह है कि मैं बीवीजी को यह वीडियो दिखा दूं और आगे क्या करना है यह उन्ही पर छोड़ दें. … दूसरा रास्ता यह है यह वीडियो बाज़ार में बिके और इसे हर कोई देखे. …”
पंकज अब एक हारे-पिटे जुआरी की तरह दिख रहे थे. अगर उनकी पत्नी ने यह वीडियो देख लिया तो न जाने वो उनके साथ क्या करेगी! और यह बाज़ार में बिकने लगा तो उनके सामने आत्महत्या करने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा! वे डरे हुए स्वर में बोले, “और तीसरा रास्ता?”
“वो तो मैंने पहले ही बता दिया था. आप बीवीजी को राज़ी करके मेरे मरद के पास भेज दें. वो उन्हें चोद लेगा तो यह किस्सा ही ख़तम हो जाएगा. … और हां, आप चाहें तो यह अदला-बदली आगे भी चल सकती है. …अब चलती हूँ मैं. कल आऊंगी. तब तक आप सोच लीजिये कि आपको क्या करना है!”
निराली चली गई और पंकज गहरे सोच में डूब गए. सोच क्या, वे तो एक गहरे गर्त में थे जिससे निकलना असंभव सा लग रहा था. निराली के बताये पहले दो रास्तों का तो एक ही अंजाम था – उनकी निश्चित बर्बादी! तीसरा रास्ता उन्हें बचा सकता था पर … अपनी संभ्रांत पत्नी को एक नौकरानी के पति को सौंपना!!!
उनके दिल से आवाज आई, “तुम्हारे जैसा इज्ज़तदार आदमी यह घटिया काम करेगा?”
तभी दिल के दूसरे कोने ने कहा, “बड़ा इज्ज़तदार बनता है! अगर अपनी बीवी को उसके पास नहीं भेजा तो तेरी इज्ज़त बचेगी?”
पहले कोने ने जवाब दिया, “क्या करूँ फिर? एक तरफ कुआँ है और दूसरी तरफ खाई! अगर दीपिका को भेजा तो भी इज्ज़त जायेगी और नहीं भेजा तो भी!”
दूसरे कोने ने समझाया, “तू यह क्यों नहीं सोचता कि उस घटिया आदमी ने दीपिका को चोद भी लिया तो बात सिर्फ चार लोगों तक ही सीमित रहेगी. दुनिया के सामने तो इज्ज़त बनी रहेगी.”
पहले कोने ने कहा, “हां, यह तो है. मुझे निराली को सख्ती से कहना होगा कि यह बात हम चार लोगों तक ही सीमित रहनी चाहिए.”
दूसरे कोने ने कहा, “अब हिम्मत रख और दीपिका के आने पर उसको तैयार कर.”
पहला कोना अब भी शंकित था, “पर दीपिका मानेगी? उसने इंकार कर दिया तो?” shadishuda mard vasna xnxx stories
दूसरे कोने ने उसकी शंका दूर की, “मूर्ख, दीपिका एक भारतीय पत्नी है. रोज़ तो अखबारों में पढता है कि पति अगर बलात्कार भी कर आये तो पत्नी उसे बचाने की कोशिश करती है, यहाँ तक कि उसे निर्दोष साबित करने के लिए उसे नपुंसक भी बता देती है!”
‘ठीक है,” पहले कोने ने थोडा आश्वस्त हो कर कहा. “दीपिका के आने पर उससे बात करता हूं.”
पंकज ने मन ही मन तय तो कर लिया था कि दीपिका के लौटने पर वे उससे बात करेंगे पर ऐसी बात करना कोई आसान काम नहीं था. वे अच्छी तरह जानते थे कि स्थिति उस के सामने रखने में उन्होंने ज़रा भी गलती कर दी तो परिणाम भयानक हो सकता है. वे दीपिका को खो भी सकते हैं. वैसे दीपिका क्रोधी स्वाभाव की नहीं थीं पर अपने पति की बेवफाई कौन स्त्री बरदाश्त करेगी. पंकज समझते थे कि उनको एक-एक शब्द तौल कर बोलना होगा और साथ ही उन्हें अच्छी खासी एक्टिंग भी करनी होगी.
उन्हें अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब वे नाटकों में अभिनय किया करते थे. गनीमत थी कि दीपिका के लौटने में तीन दिन थे. इन तीन दिनों में उन्हें पूरा रिहर्सल करना था. लेकिन मुश्किल यह थी कि यहाँ कोई संवाद लेखक और निर्देशक नहीं था. सब कुछ उन्हें स्वयं करना था. पंकज दिन-रात सोचते रहते थे कि उन्हें क्या और कैसे बोलना है.
निराली रोज़ काम करने आती थी और पंकज से पूछती रहती थी कि बीवीजी कब आएँगी. निराली और उसके पति ने उनका वासना का भूत ऐसा उतारा था कि निराली को देख कर अब उन्हें रोमांच के बजाय वितृष्णा होती थी. उन्होंने तय कर लिया था कि इस बार वे बच जाएँ तो भविष्य में किसी परायी स्त्री कि तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखेंगे.
बार-बार सोचने पर भी पंकज के समझ में नहीं आ रहा था कि वे दीपिका को क्या कहें. उन्होंने मन ही मन कई तरह के वाक्य बनाए पर हरेक में कुछ न कुछ कमी नज़र आ जाती थी. अंत में उन्होंने सोचा कि दीपिका को कोई गहरा शॉक देना ही एक मात्र रास्ता था जो उन्हें उसके गुस्से से बचा सकता था.
शॉक कैसा हो यह भी उन्होंने सोच लिया. रिहर्सल का तो वक़्त ही नहीं मिला क्योंकि दीपिका के लौटने का दिन आ गया था. ट्रेन पहुँचने से पहले उन्होंने दीपिका को फ़ोन से बताया कि तबियत ख़राब होने के कारण वे स्टेशन नहीं आ सकेंगे. दीपिका ने उनको कहा कि वे ओटो रिक्शा ले कर आ जायेंगी. वे अपनी तबियत का ध्यान रखें.
छुट्टी का दिन था. निराली काम करके जा चुकी थी. दीपिका घर पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि ड्राइंग रूम का दरवाजा खुला हुआ था. उन्हें लगा कि पंकज की तबियत जितना उन्होंने सोचा था उससे ज्यादा ख़राब है. वे सूटकेस नीचे रखने के लिए झुकीं तो उन्हें मेज पर पेपर वेट से दबा एक बड़ा कागज़ दिखा जो हवा से फडफडा रहा था. मेज पर और कुछ नहीं था. उन्होंने आगे बढ़ कर वो कागज़ उठाया. जैसे ही उन्होंने उसे पढना शुरू किया, उनकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया.
किसी तरह मेज़ पर अपने हाथ रख कर वे गिरने से बचीं. उन्होंने बड़ी हिम्मत कर के खुद को संभाला और वे बिजली की तेज़ी से अन्दर की ओर दौड़ पडीं. बैडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही वे एक पल के लिए ठिठकीं और फिर चिल्ला उठीं, “नहीं. रुको.”
पंकज ने चौंक कर उन्हें देखा और कहा, “मत रोको मुझे. मेरे लिये और कोई रास्ता नहीं बचा है. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.”
इससे पहले कि वे कुछ करते, दीपिका ने दौड़ कर उनकी टांगों को पकड़ लिया. उन्होंने हाँफते हुए कहा, “ये क्या पागलपन है! नीचे उतरो. तुन्हें मेरी कसम है. अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं भी आत्महत्या कर लूंगी.” shadishuda mard vasna xnxx stories
(आप समझ ही गए होंगे कि पंकज ने क्या किया था. उन्होंने ड्राइंग रूम में एक पत्र लिख छोड़ा था जिसमे लिखा था –
मेरे प्राणों से प्रिय दीपिका,
जब तुम यह पत्र पढ़ोगी तब तक मेरी आत्मा मेरे अधम शरीर से विदा हो चुकी होगी. मैंने जो पाप किया है उसका कोई प्रायश्चित नहीं है. तुम्हे मुंह दिखाना तो दूर, मैं तो तुम से माफ़ी मांगने के लायक भी नहीं रहा हूं.
तुम्हारा गुनहगार,
पंकज
पत्र पढ़ते ही किसी अनहोनी की आशंका से त्रस्त दीपिका तुरंत अन्दर दौड़ पडी थीं.
निराली की अजीब शर्त और ब्लैकमेल ने पंकज के पास दुनिया छोड़ने के अलावा कोई चारा नही छोड़ा था, पर उनकी बीवी वहां पहुच चुकी थी. आगे ये पति-पत्नी क्या कोई हल निकल पाते है? इन xnxx stories का अगला मस्त भाग..
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बैडरूम के दरवाजे पर पहुंचते ही उन्होंने देखा कि पंकज एक स्टूल पर खड़े थे. उनके हाथ में एक रस्सी का फंदा था जिसे वे गले में डालने ही वाले थे. रस्सी का दूसरा छोर ऊपर पंखे से बंधा हुआ था.)
दीपिका ने फिर लगभग रोते हुए कहा, “अगर तुमने ये पागलपन नहीं छोड़ा तो मैं सच कहती हूँ, इस घर से एक साथ दो अर्थियां उठेंगी.
अब पंकज क्या करते! वे अपनी प्राणों से प्रिय पत्नी को कैसे मरने देते! उन्हें नीचे उतरना ही पड़ा. नीचे उतरे तो उनका सर झुका हुआ था. दीपिका ने रोते हुए उन्हें अपनी बांहों में भर लिया. पर दीपिका की आँखों से अधिक आंसू पंकज की आँखों से बह रहे थे. पति-पत्नी का करुण रुदन काफी समय तक चलता रहा. …
किसी तरह दीपिका ने दिलासा दे-दे कर अपने पति को चुप कराया. जब पंकज कुछ सामान्य हुए तो दीपिका ने आशंकित मन से उन्हें पूछा कि हुआ क्या था. अब पंकज क्या जवाब देते? पर वे सच्चाई को छुपाते भी कब तक! जब दीपिका ने पूछना जारी रखा तो उन्हें अटकते-अटकते रुआंसी आवाज में सब बताना पड़ा. गर्दन उठाने की हिम्मत उनमे नहीं थी. shadishuda mard vasna xnxx stories
पंकज से सब कुछ सुनते समय दीपिका की मनोदशा अजीब थी. उन्हें कभी पंकज पर क्रोध आ रहा था, कभी उनसे घृणा हो रही थी और कभी अपने दुर्भाग्य पर रोना आ रहा था. जब अंत में उन्होंने निराली की विचित्र शर्त सुनी तो वे जैसे आसमान से गिरीं. एक नौकरानी की यह मजाल! … फिर उन्हे लगा कि सारी मूर्खता तो उनके पति की थी.
निराली और उसके पति ने अपनी चालाकी से पंकज की बेवकूफ़ी का फायदा उठाया था. कुछ भी हो, अब इस मूर्खता का परिणाम तो उन्हें भुगतना था. … वे एक भारतीय नारी थीं. उन्होंने सोचा कि उनके लिए पति के जीवन से कीमती कुछ भी नहीं है. उन्होंने आज समय पर पहुँच कर पंकज को आत्महत्या करने से तो रोक दिया था पर उन्हें आगे आत्महत्या से रोकना भी उन्ही का दायित्व था.
जब उन्होंने अपने जज्बात पर काबू पा लिया तो उनकी बुद्धि ने भी काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने पंकज से कहा, “जो हो चुका सो हो चुका. उसे मिटाया नहीं जा सकता है. हमें आगे के बारे में सोचना है. कोई न कोई रास्ता जरूर होगा.”
उनकी बात सुन कर पंकज को सबसे पहले तो यह तसल्ली हुई कि दीपिका ने उनको माफ़ कर दिया है. जो हो गया उसे उन्होंने एक भारतीय पत्नी की तरह अपनी नियति समझ कर स्वीकार कर लिया है. फिर जब उन्होंने कहा कि ‘हमें’ आगे के बारे में सोचना है, तो उनका मतलब था कि अब जो भी करना है वे दोनों मिल कर करेंगे. पंकज ने सोचा कि उनका दीपिका को शॉक देने का नुस्खा कारगर साबित हुआ था. उन्होंने मन ही मन अपनी एक्टिंग को दाद दी. एक्टिंग जारी रखते हुए उन्होंने हताशा से कहा, “मैं तो हर पल यही सोच रहा हूँ पर मुझे निराली की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.”
दीपिका ने जवाब में कहा, “ये लोग गरीब नौकर हैं. इन्हें पैसों का लालच न हो, यह हो ही नहीं सकता. पर एक-दो हज़ार से बात नहीं बनेगी. तुम उसे ज्यादा पैसों का लालच दो. जरूरत पड़े तो हम दस-बीस हज़ार तक भी जा सकते हैं.”
पंकज ने सोचा कि वे कोई अफसर नहीं बल्कि एक क्लर्क हैं. उनके लिए दस-बीस हज़ार रुपये ऐसे ही दे देना कोई मामूली बात नहीं थी. पर अपने घर की लाज बचाने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार थे. उन्होंने बुझे स्वर में कहा, “ठीक है, मैं कल निराली से बात करता हूँ.” shadishuda mard vasna xnxx stories
दीपिका ने दृढ़ता से कहा, “इससे ज्यादा भी देने पड़ें तो संकोच मत करना. जरूरी हुआ तो मैं अपने गहने भी बेच दूँगी.”
पंकज शर्मिंदगी से बोले, “तुम्हारे पास है ही क्या? जो है वो भी मेरे कारण चला जाएगा!”
दीपिका ने कहा, “तुम्हारी जान और घर की इज्ज़त के सामने गहने और पैसे क्या हैं!”
पंकज का अभिनय तो अब ऑस्कर अवार्ड के लायक हो चला था. उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे. उन्होंने रुंधे गले से कहा, “पता नहीं पिछले जन्म में मैंने क्या पुण्य किया था कि भगवान ने मुझे तुम्हारे जैसी पत्नी दे दी! … और मैं फिर भी यह नीच काम कर बैठा. … अगर भगवान की कृपा और तुम्हारे भाग्य ने इस बार मुझे बचा लिया तो मैं भगवान की कसम खाता हूं कि किसी परायी स्त्री की तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखूँगा.”
दीपिका ने द्रवित हो कर अपने पति को गले से लगा लिया. पंकज के आंसू उनके कंधे को भिगो रहे थे … पर अब अगले दिन का इंतजार करने के अलावा कोई चारा न था.
अगली सुबह तक का समय बहुत मुश्किल से बीता. पंकज आशंकित थे पर दीपिका के मन में आशा थी. दोनों ने मिल कर तय किया कि निराली के आने के बाद दीपिका मंदिर चली जायेंगी ताकि पंकज अकेले में निराली से बात कर सकें. वैसे भी मंदिर में दीपिका को भगवान से बहुत विनती करनी थी.
बहरहाल अगली सुबह आई और नियत समय पर निराली भी आ गई. जब उसने दीपिका को घर में पाया तो वह बहुत खुश हुई. अब उसके पति का उधार चुकता हो जाएगा, वो उधार जो कई दिनों से पंकज बाबू पर था. दीपिका ने अपने आप को सामान्य दिखाते हुए उससे थोड़ी औपचारिक बात की. दीपिका को सामान्य देख कर निराली को आश्चर्य हुआ.
उसे शंका हुई कि शायद बाबूजी ने उनसे ‘वो’ बात नहीं की थी. जब निराली का काम ख़त्म होने को था, दीपिका ने पंकज को कहा कि वे मंदिर जा रही हैं, और वे पूजा का कुछ सामान ले कर घर से निकल गयीं. निराली जल्दी से अपना काम ख़त्म कर के पंकज के पास पहुंची और उनसे बोली, “बाबूजी, कितने बजे भेज रहे हैं बीवीजी को? उन्हें आप पहुंचाएंगे या मैं लेने आऊँ?”
पंकज के सामने वो मुश्किल घडी आ गई थी जिसे वे टालना चाहते थे. उन्होंने फिर एक्टिंग का सहारा लिया और बोले, “निराली, मैं कई दिनों से तुम्हारी बात पर गौर कर रहा हूँ और मुझे समझ में आ गया है कि मैं कितना मूर्ख था!” shadishuda mard vasna xnxx stories
निराली सोच रही थी कि इनको अब अक्ल आई है. पंकज बोलने के साथ-साथ निराली के मनोभावों को पढने का भी प्रयास कर रहे थे. उन्होंने अपनी बात जारी रखी, “मैं जानता हूं कि तुम्हारी ज़िन्दगी में कितने अभाव हैं. एक-दो हज़ार रुपये ज्यादा मिलने से तुम्हारे अभाव दूर नहीं होंगे. लेकिन सोचो कि तुम्हे दस-पंद्रह हज़ार रुपये एकमुश्त मिल जाएँ तो तुम्हारी कौन-कौन सी जरूरतें पूरी हो सकती हैं!”
उनकी आशा के विपरीत उन्हें निराली के चेहरे पर कोई ख़ुशी या सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखी. वे समझ गए कि इतने से बात नहीं बनेगी. वे आगे बोले, “बल्कि मैं तो सोचता हूँ कि यह भी कम हैं. अगर बीस-पच्चीस हज़ार …”
निराली उनकी बात को काटते हुए बोली, “बाबूजी, मैंने न तो इतने रुपये देखे हैं और न ही मैं जानती हूं कि इतने रुपयों से क्या-क्या हो सकता है. ये बातें मेरा मरद ही समझ सकता है. आप कहें तो मैं उसे पूछ कर आपको जवाब दे दूं.”
निराली न तो खुश दिख रही थी और न दुखी. पंकज को लग रहा था कि उनका दाव बेकार गया. फिर उन्होंने सोचा कि शायद निराली के घर में इतने बड़े फैसले करने का अधिकार उसके मर्द को ही होगा. उन्होंने कहा, “ठीक है, तुम उसे पूछ लो.”
निराली चली गई.
दीपिका जब घर वापस आयीं तो उन्हें निराली नहीं दिखी. उन्होंने बेताबी से पंकज से पूछा, “क्या हुआ? वो मान गई?”
“नहीं,” पंकज ने सर झुकाए हुए कहा. shadishuda mard vasna xnxx stories
“नहीं!” दीपिका ने आश्चर्य से कहा. “तुमने कितने तक की बात की? कहीं कंजूसी तो नहीं दिखाई?”
“तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है,” पंकज ने कहा. “मैंने बीस-पच्चीस हज़ार तक की बात की थी.”
“फिर?”
“उसने कहा कि वो यह सब नहीं समझती,” पंकज ने उत्तर दिया. “वो अपने पति से बात कर के जवाब देगी.”
“कब?”
“उसने यह नहीं बताया.”
“उसने रुपयों के अलावा किसी और चीज़ की बात तो नहीं की?” दीपिका ने पूछा.
“नहीं.”
“लगता है बात बन जायेगी,” दीपिका थोड़ी आश्वस्त हुईं. “लेकिन हो सकता है कि उसका पति तेज-तर्रार हो और इतने में भी न माने. सुनो, जरूरी लगे तो तुम चालीस-पचास तक भी चले जाना!”
“चालीस-पचास हज़ार!” पंकज ने विस्मय से कहा. “कहाँ से लायेंगे हम इतने रुपये?”
“तुम चिंता मत करो,” दीपिका ने कहा. “मैंने कहा था न कि जरूरत हुई तो मैं अपने गहने भी बेच दूँगी. भगवान सब ठीक करेंगे. मैं तो मंदिर में प्रसाद भी बोल कर आई हूं.” shadishuda mard vasna xnxx stories
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शाम को पति-पत्नी दोनों अपने-अपने खयालों में खोये थे कि किसी ने दरवाजा खटखटाया. दीपिका ने जा कर दरवाजा खोला. बाहर निराली खड़ी थी.
“नमस्ते बीवीजी, बाबूजी हैं?” उसने दीपिका से पूछा.
“हां, तुम रुको. मैं उन्हें भेजती हूँ.”
दीपिका उसे ड्राइंग-रूम में छोड़ कर अन्दर गई तो पंकज ने बेचैनी से पूछा, “कौन था?”
“निराली है,” दीपिका ने कहा. “ड्राइंग रूम में आप का इंतजार कर रही है.”
“इतनी जल्दी आ गई,” पंकज ने उत्तर दिया. वे डर रहे थे कि अब क्या होगा! जिस घड़ी को वे टालना चाहते थे वो आ गई थी.
दीपिका ने कहा, “जाओ और होशियारी से बात करना.”
पंकज ड्राइंग रूम में पहुंचे तो निराली खड़ी हुई थी. उन्होंने बैठते हुए कहा, “तुम खड़ी क्यों हो?”
निराली उनके सामने फर्श पर बैठने लगी तो उन्होंने उसे सोफे पर बैठने को कहा. पर निराली ने नीचे बैठ कर कहा, “मैं यहीं ठीक हूं, बाबूजी. आप जैसे बड़े लोगों के बराबर बैठने की हिम्मत मुझ में कहाँ!”
पंकज समझ गए कि उन्होंने जितना सोचा था निराली उससे कहीं ज्यादा चालाक है. कुछ दिन पहले उनके नीचे और ऊपर लेटने वाली औरत आज कह रही है कि वो उनके बराबर बैठने के लायक नहीं है! उन्हें वास्तव में होशियारी से बात करनी पड़ेगी.
उन्होंने झिझकते हुए पूछा, “कुछ बताया तुम्हारे पति ने?” shadishuda mard vasna xnxx stories
निराली ने कहा, “हां बाबूजी, उसने कहा कि हमारे बड़े भाग हैं कि बाबूजी ने तुम्हे अपनी सेवा करने का मौका दिया. उसने कहा कि बड़े लोगों की सेवा करने का फ़ल भी बड़ा मिलता है. इसलिए अब हमारे भी दिन फिरने वाले हैं.”
पंकज को लगा कि निराली की तरह यह आदमी भी बहुत चालाक है. उन्होंने सावधानी से पासा फेंका, “हां, मैं सोच रहा था कि इस महंगाई के ज़माने में बीस-पच्चीस हज़ार रुपये से भी क्या होता है!”
उनकी बात पूरी होने से पहले ही निराली ने कहा, “सच है, बाबूजी. मेरा मरद भी यही कहता है. आजकल बीस-पच्चीस हज़ार से कुछ नहीं होता! कोई सरकार हम गरीबों के बारे में नहीं सोचती. यह तो भगवान की कृपा है कि आप जैसे दयालु लोग हम गरीबों की फ़िक्र करते हैं.”
पंकज समझ गए थे कि उनका पाला एक पहुंचे हुए इन्सान से पड़ा है. अब बीस-पच्चीस हज़ार से काफी आगे जाना पड़ेगा. उन्होंने सोचा कि आगे बढ़ने से पहले उन्हें निराली की थाह लेने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने सतर्कता से कहा, “तो तुमने भी कुछ तो सोचा होगा. मैं कोई अमीर आदमी नहीं हूं पर जितना हो सकता है उतना करने की कोशिश करूंगा.”
“बाबूजी, अब आपसे क्या छिपाना,” निराली ने अपनी आवाज नीची कर के अपनी बात आगे बढाई. “सच तो यह है कि मेरे मरद के मन में लालच आ गया था. हमारे मुहल्ले में एक आदमी है जो हर तरह के उलटे-सीधे धंधे करता है – चरस, गांजा, स्मैक, गन्दी फिलमें – वो सब कुछ खरीदता और बेचता है. मेरा मरद उसके पास पहुँच गया.
उसने उस आदमी से कहा कि मेरे एक दोस्त के पास एक शरीफ और घरेलू किस्म के मरद-औरत की गन्दी फिलम है. वो कितने में बिक सकती है? उस आदमी ने कहा कि आजकल कोई नैट नाम का बाज़ार बना है जहाँ ऐसी चार-पांच मिनट की फिल्म के भी एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं. सुना आपने, बाबूजी? एक छोटी सी फिलम के एक लाख रुपये!”
अब पंकज की बोलती बंद हो गई. वे चालीस-पचास हज़ार रुपये भी मुश्किल से जुटा पाते लेकिन यहां तो बात एक लाख की हो रही थी. उन्हें लगा कि बाज़ी हाथ से निकल चुकी है. अब कुछ नहीं हो सकता. लेकिन फिर उन्हें याद आया कि अभी निराली ने यह नहीं कहा था कि उसके पति ने फिल्म बेच दी. शायद कोई रास्ता निकल आये! उन्होंने डरी हुई आवाज में कहा, “फिर तुम्हारे मरद ने क्या किया?”
“एक लाख की बात सुन कर उसके मुंह में पानी आ गया पर फिर कुछ सोच कर उसने वो फिलम न बेचना ही ठीक समझा. वापस आ कर उसने मुझे सारा किस्सा सुनाया और कहा ‘निराली, रुपये तो हाथ का मैल है. किस्मत में लिखे हैं तो कभी न कभी जरूर आयेंगे. पर तुम्हारी मालकिन जैसी एक नम्बर की मेम दुबारा नहीं मिलेगी.
मैं कितना ही मुंह मार लूं पर मुझे औरत मिलेगी तो तेरे दर्जे की ही. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेमसाहब जैसा टनाटन माल मेरी किस्मत में हो सकता है! अब किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई है तो मैं ये मौका क्यों छोडूं? तू तो बस एक दिन के लिए मेमसाहब को मुझे दिला दे.’ सुना आपने, बाबूजी? उस मूरख ने बीवीजी के लिए एक लाख रुपये छोड़ दिए!”
यह सुन कर पंकज स्तब्ध रह गये. यही हाल दीपिका का था जो परदे के पीछे खडी सब सुन रही थीं. दोनों सन्न थे. दोनों के समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. दीपिका किसी तरह दीवार का सहारा ले कर खड़ी रह पायीं. पंकज गुमसुम से खिड़की की तरफ देख रहे थे. तभी निराली ने सन्नाटा तोडा, “क्या हुआ, बाबूजी? आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है. … गर्मी भी तो इतनी ज्यादा है. मैं आपके लिए पानी लाती हूँ.” shadishuda mard vasna xnxx stories
दीपिका ने चौंक कर खुद को संभाला. उन्हें डर था कि कहीं निराली अन्दर आ कर उनका हाल न देख ले. तभी उन्हें पंकज की आवाज सुनाई दी, “नहीं नहीं, … मैं ठीक हो जाऊंगा.”
“अन्दर से बीवीजी को बुलाऊं?” निराली ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर दीपिका तेज़ी से बेडरूम में चली गयीं.
पंकज ने कहा, “नहीं, कोई जरूरत नहीं है. मुझे अब थोडा ठीक लग रहा है.”
“पर फिर भी आपको उनसे बात तो करनी होगी न!” निराली उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.
“बात? … हां, मैं बात करूंगा. … निराली, क्या तुम अभी जा सकती हो? कल तक के लिए?”
“ठीक है बाबूजी, इतने दिन बीत गए तो एक दिन और सही! मैं चलती हूँ.” निराली उठ कर दरवाजे की ओर चल दी. बाहर निकलने से पहले उसने कहा, “जो भी तय हो वो आप कल मुझे बता देना.”
उसके जाने के बाद पंकज किंकर्तव्यविमूढ से बैठे रहे. वे जानते थे कि अब निराली के पति की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे यह बात दीपिका को कैसे बताएं. … दीपिका को भी भान हो गया था कि निराली जा चुकी थी. उन्हें यह भी ज्ञात हो गया था कि पति की इज्ज़त और जान बचाने के लिए उन्हें उस घटिया आदमी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी. वे जानती थीं कि पंकज के लिए उनसे यह बात कहना कितना कठिन होगा. उन्होंने अपना जी कड़ा किया और ड्राइंग रूम में पहुँच गयीं. उन्होंने देखा कि पंकज की सर उठाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.
दीपिका ने उनके कंधे पर हाथ रख कर दृढता से कहा, “तुम चिंता छोडो. मैं कर लूंगी.”
“कर लोगी?” पंकज ने आश्चर्य से कहा. “… क्या कर लोगी?” shadishuda mard vasna xnxx stories
“वही जो निराली की शर्त है और जो उसका पति चाहता है,” दीपिका ने कहा.
यह सुन कर पंकज को अपनी पत्नी की इज्ज़त लुटने का दुःख कम और अपना पिंड छूटने की ख़ुशी ज्यादा हुई. उन्हें पता था कि वो फिल्म इन्टरनेट पर आ जाये तो वे किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. पर उन्होंने अपने चेहरे पर संताप और ग्लानि की मुद्रा लाते हुए कहा, “मैं कितना मूर्ख हूं! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मूर्खता की कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. अगर मैं अपनी जान दे कर…”
“मैंने कहा था न कि तुम ऐसी बात सोचना भी नहीं,” दीपिका ने उनकी बात काटते हुए कहा. “सब ठीक हो जाएगा. … मुझे तो बस एक ही बात का डर है.”
पंकज ने थोड़े शंकित हो कर पूछा, “डर? … कैसा डर?”
“यही कि इसके बाद मैं तुम्हारी नज़रों में गिर न जाऊं!” दीपिका ने कहा. “कहीं तुम मुझे अपवित्र न समझने लगो!”
यह सुन कर पंकज की चिंता दूर हो गई. उन्होंने दीपिका को गले लगा कर कहा, “कैसी बात करती हो तुम! इस त्याग के बाद तो तुम मेरी नज़रों इतनी ऊपर उठ जाओगी कि तुम्हारे सामने मैं बौना लगने लगूंगा.”
अब यह तय हो गया था कि दीपिका को क्या करना था. दोनों कुछ हद तक सामान्य हो गए थे. अब अगला सवाल था कि यह काम कहाँ, कब और कैसे हो? निराली का पति शम्भू (उसका नाम कालीचरण था पर सब उसे शम्भू ही कहते थे) एक-दो बार इनके घर आया था, यह बताने के लिए कि निराली आज काम पर नहीं आ सकेगी. दोनों को याद था कि वो एक मजबूत कद-काठी वाला पर काला-कलूटा और उजड्ड टाइप का आदमी था. उसकी सूरत कुछ कांइयां किस्म की थी. उसका ज्यादा देर घर के अन्दर रुकना पड़ोसियों के मन में शंका पैदा कर सकता था क्योंकि वो किसी को भी उनका रिश्तेदार या दोस्त नहीं लगता.
दूसरा रास्ता था कि दीपिका उनके घर जाये. पर इसमें भी जोखिम था. उस मोहल्ले में दीपिका का निराली के घर एक-दो घन्टे रुकना भी शक पैदा कर सकता था. काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि यदि दीपिका रात के अँधेरे में वहां जाएँ और भोर होते ही वापस आ जाएँ तो किसी के द्वारा उन्हें देखे जाने की संभावना बहुत कम हो जायेगी.
साथ ही वे साधारण कपडे पहनें और थोडा सा घूंघट निकाल लें तो वे निराली और शम्भू की रिश्तेदार लगेंगी. यह भी तय हुआ कि रात होने के बाद दीपिका एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जायेंगी और वहां से निराली उन्हें ले जायेगी. अगली सुबह तडके निराली उन्हें वापस पंहुचा देगी. पंकज ने निराली से एक दिन का समय मांगा था इसलिए यह काम अगली रात को करना तय हुआ.
पति की लाज बचाने के लिए एक शरीफ घर की औरत एक उज्जड से आदमी से लुटने जा रही थी. कैसी रहेगी मेरी बीवी और शम्भू की मुलाकात? जानिए इस hindi hot story के अगले धमाकेदार भाग में.. shadishuda mard vasna xnxx stories
खाना खाने के बाद पति-पत्नी सोने के लिए चले गए पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी. दीपिका की आँखों के सामने बार-बार शम्भू का चेहरा घूम रहा था. उन्हें याद था कि वो जब-जब यहाँ आया, उन्हें लम्पट दृष्टि से देखता था. उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो अपनी आँखों से उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश कर रहा हो.
उन्हें यह सोच कर झुरझुरी हो रही थी कि कहीं उसने वास्तव में उन्हें नग्न कर दिया तो उन्हें कैसा लगेगा! उसकी बोलचाल भी गंवार किस्म की थी. न जाने वो उनके साथ कैसे पेश आएगा! दीपिका को उससे पंकज जैसे सभ्य व्यवहार की आशा नहीं थी. और वो बिस्तर पर उनके साथ जो करेगा … उसकी तो वे कल्पना भी नहीं करना चाहती थीं.
उधर पंकज का भी यही हाल था. शुरू में तो उन्हें भय और तनाव से मुक्त होने की ख़ुशी हुई थी पर बाद में उनका मन न जाने कहाँ-कहाँ भटकने लगा. उन्हें लग रहा था कि उनका निराली को भोगना तो एक सामान्य बात थी पर शम्भू जैसा आदमी उनकी पत्नी को भोगे … यह सोच कर उन्हें वितृष्णा हो रही थी. फिर उन्हें महसूस हुआ कि शम्भू ही क्यों, किसी भी पर-पुरुष को अपनी पत्नी सौंपनी पड़े तो उन्हें इतना ही बुरा लगेगा.
उन्हें यह सर्वमान्य पुरुष स्वभाव लगा कि अपनी पत्नी को दूसरों से बचा कर रखो पर दूसरों की पत्नी मिल जाए तो बेझिझक उसका उपभोग करो. … फिर पंकज के मन में विचार आया कि शम्भू भी तो यही कर रहा है. दूसरे की पत्नी मिल सकती है तो वो उसे क्यों छोड़ेगा. … पर वे वे हैं और शम्भू शम्भू!
एक और डर पंकज को सताने लगा. शम्भू कहीं दीपिका को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे! वो ठहरा एक हट्टा-कट्टा कड़ियल मर्द जबकि दीपिका एक कोमलान्गी नारी थीं. उन दोनों में कोई समानता न थी. शारीरिक समानता तो दूर, उनके मानसिक स्तर में भी जमीन आसमान का फर्क था. दीपिका एक सुसंस्कृत और संभ्रांत स्त्री थीं. रतिक्रिया के समय पर भी उनका व्यवहार शालीन और सभ्य रहता था. जबकि शम्भू से सभ्य आचरण की अपेक्षा करना ही निरर्थक था. पंकज निराली का यौनाचरण देख चुके थे. कहीं शम्भू ने भी दीपिका के साथ वैसा ही व्यवहार किया तो?
अपने-अपने विचारों में डूबते-तरते पता नहीं कब वे दोनों निद्रा की गोद में चले गए.
दीपिका एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर पहुँच गयीं जो उनके घर से थोड़ी ही दूर था. निराली वहां उनका इंतजार कर रही थी. जब वे दोनों निराली के घर की ओर चल पडीं तो रास्ते में निराली ने दीपिका को कहा, “बीवीजी, मैने अपने एक-दो पड़ोसियों को बताया है कि रात को मेरी भाभी इस शहर से गुज़र रही है. वो हम लोगों से मिलने कुछ घंटों के लिये हमारे घर आएगी. उसे जल्दी ही वापस जाना है इसलिए वो अपना सामान स्टेशन पर जमा करवा के आयेगी. अब आप बेफिक्र हो जाइये. किसी को कोई शक नहीं होगा. कल सुबह आप सही-सलामत अपने घर पहुँच जायेंगी और मेरे मरद की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.”
आखिरी वाक्य सुन कर दीपिका को फिर झुरझुरी सी हुई. लेकिन अब वे लौट नहीं सकती थीं! उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. और वो होने में ज्यादा देर भी नहीं थी क्योंकि बातों-बातों में वे निराली के घर पहुँच गए थे. घर के अन्दर पहुँच कर दीपिका एक और समस्या से रूबरू हुईं. उस घर में एक कमरा, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम था. सवाल था कि निराली कहाँ रहेगी!
शम्भू एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही निराली ने दरवाजा बंद किया, शम्भू लपक कर दीपिका के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए निराली से बोला, “निराली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.”
उसने अपना मुंह दीपिका के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, “नहीं, यहाँ निराली है.” shadishuda mard vasna xnxx stories
“तो क्या हुआ, मेमसाहब?” शम्भू ने कहा. “इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.”
निराली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, “अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? … बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.”
अब दीपिका के पास कोई चारा न था. और निराली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब शम्भू को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, “ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! … और गाल भी इतने चिकने!”
उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. दीपिका डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.
शम्भू ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. दीपिका ने सोचा था कि शम्भू जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.
उनके होंठों का रसपान करने के बाद शम्भू ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो दीपिका को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी शम्भू की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर शम्भू के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत शम्भू को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा निराली के शब्दों ने तोड़ी जब वो शम्भू से बोली, “अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!”
निराली के शब्दों और उसकी भाषा से दीपिका यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से ‘चूंची’ जैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. शम्भू ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो निराली से बोला, “आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.”
निराली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, शम्भू बोल उठा, “ओ मां! निराली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!”
अब निराली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर दीपिका को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी ‘चून्चियां’ वास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!’ पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा. shadishuda mard vasna xnxx stories
शम्भू ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, “मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.”
यह नया शब्द सुन कर दीपिका की उत्तेजना और बढ़ गई. शम्भू ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. दीपिका की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब शम्भू की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि शम्भू इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.
निराली एक बार फिर उन्हें यथार्थ के धरातल पर ले आई. उसने पूछा, “बीवीजी, आपको तकलीफ तो नहीं हो रही है? यह ठीक तरह से दबा रहा है?”
दीपिका ने आँखें खोल कर सिर्फ इशारे से जवाब दिया. निराली समझ गई कि वे खुश हैं. उसने शम्भू से पूछा, “और तुझे कैसा लग रहा है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे खाली कर देगा!”
“तेरी कसम निराली, ऐसी रसीली चून्चिया भगवान किसी किसी को ही देता है. तू चूस के देख. तू भी मान जायेगी.”
“सच?” निराली के कहा. “चल, एक तू चूस और एक मुझे चूसने दे.” shadishuda mard vasna xnxx stories
अब मियां-बीवी दोनों टूट पड़े दीपिका की छाती पर. एक चूंची शम्भू के मुंह में और एक निराली के मुंह में! दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे अपनी जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहते हों. और इस दोहरे हमले तले दीपिका को ऐसे लग रहा था जैसे वे आसमान में उड़ रही हों. उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनका पेटीकोट उतरा और कब चड्डी. उन्हें केवल यह पता था कि किसी की उँगलियाँ उनकी जाँघों के बीच थिरक रही हैं और उन्हें स्वप्नलोक में ले जा रही हैं. उनकी तन्द्रा फिर निराली के शब्दों से टूटी. वो कह रही थी, “अब दोनों चूंचियां मैं सम्भालती हूं और तू बीवीजी की चूत को संभाल.”
इस बार निराली की भाषा ने उन्हें विस्मित नहीं किया. साथ ही वे यह भी समझ गईं कि अब शम्भू का असली हमला झेलने का समय आ गया है. पर उनकी उत्तेजना उन्हें इस हमले के लिए तैयार कर चुकी थी. तैयार ही नहीं, वे कामातुर हो कर इस आक्रमण की प्रतीक्षा कर रही थीं. पर हुआ कुछ और ही. उन्हें अपने भगोष्ठों पर शम्भू के कठोर हथियार की बजाय एक कोमल स्पर्श महसूस हुआ, एक गीला और मादक स्पर्श!
उन्होंने अपनी आँखें खोल कर नीचे की ओर झाँका. निराली उनके सीने पर झुकी हुई थी पर फिर भी उन्हें अपनी जाँघों के बीच शम्भू का सर नज़र आ रहा था. उन्होंने सोचा, ‘हे भगवान! यह अपनी जीभ से वहां क्या कर रहा है?’ फिर उन्होंने मन ही मन सोचा, ‘वो जो भी कर रहा है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.’ उनके लिए यह एक नया अनुभव था जो उन्हें कामोन्माद की ओर धकेल रहा था.
ऊपर निराली जुटी हुई थी. उसने दीपिका के मम्मों को चूस-चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. उसका मम्मे चूसने का अंदाज़ उनकी कामोत्तेजना को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा था. जल्द ही वो घडी आ गई जिसका उनको आभास नहीं था. उनका बदन लरजने लगा. वे बेबसी में इधर-उधर हाथ पैर मारने लगीं. और फिर उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर उनका शरीर धनुष की तरह अकड़ गया. निराली और शम्भू की सम्मिलित कामचेष्टा ने उन्हें यौन-आनंद के चरम पर पहुंचा दिया था.
जब दीपिका की चेतना लौटी, वे अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रही थीं. उनको ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे उन्हें एक असह्य तनाव से मुक्ति मिली हो. उन्होंने आँखें खोलीं तो पाया कि निराली और शम्भू उन्हें विस्मय से देख रहे हैं. निराली बोली, “बीवीजी, आपको झड़ते देख कर तो मुझे भी मज़ा आ गया. आपको मज़ा आया?”
दीपिका खुश तो थीं पर वे थोड़ी शर्मिंदा भी थीं कि वे इन दोनों के सामने इतने जोर से ‘झड़ी’ थीं (यह शब्द उनके लिए नया था). मगर वे इंकार कैसे करतीं? मज़ा तो उन्हे आया ही था. उन्होंने शर्माते हुए हां में सर हिलाया तो निराली ने शम्भू की तरफ इशारा करते हुए कहा, “तो अब इसका भी काम कर दीजिये न!”
दीपिका अब इन लोगों की भाषा समझने लगी थीं. वे समझ गयी थीं कि निराली किस ‘काम’ की बात कर रही थी. यहां आने से पहले इस ‘काम’ की कल्पना भी उनको डरावनी लग रही थी पर शम्भू से यौनसुख पाने के बाद उनका डर काफी हद तक कम हो गया था. बल्कि उन्हें उसका प्रतिदान करना भी न्यायोचित लग रहा था. उन्होंने स्वीकृति में सर हिलाया तो निराली ने शम्भू को निर्वस्त्र कर दिया.
शम्भू दीपिका के पास लेट कर उनसे लिपट गया. वो उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उसने उनकी चून्चियों, कमर, रानों और चूतड़ों को अपने हाथ से सहलाया. एक बार फिर उसका हाथ उनकी चूत पर और उसका मुँह उनकी चूंची पर पहुंच गया. निराली ने उनके पास लेट कर अपना मुंह उनकी दूसरी चूंची पर जमा दिया. दीपिका का कामावेग फिर बढ़ने लगा. निराली ने उनका हाथ शम्भू के यौनांग पर रख दिया. एक बार तो वे उस बलिष्ठ अंग के स्पर्श से चिहुंक उठीं.
उन्होंने अपना हाथ पीछे खींचना चाहा पर निराली ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. फिर स्वतः ही उनकी मुट्ठी उस पर भिंच गई. अब शम्भू ने अपनी ऊँगली उनकी योनी में घुसा दी. दोनों के हाथ अपना काम करने लगे. शम्भू उनकी योनी को अन्दर से सहला रहा था और वे उसके लिंग को बाहर से मसल रही थीं. निराली और शम्भू के प्रयासों ने जल्द ही उन्हें पूर्णतया कामातुर कर दिया. निराली को उनकी तेज होती सांसों का भान हुआ तो उसने पूछा, “बीवीजी, पनिया गईं या अभी देर है?”
दीपिका को उसकी बात समझ में नहीं आई. उन्होंने उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखा तो निराली ने कहा, “आपकी चूत पानी छोड़ रही है क्या?” shadishuda mard vasna xnxx stories
दीपिका ने शर्मा कर हां कहा तो निराली बोली, “ठीक है. अब इसे भी तैय्यार कर दीजिये.”
दीपिका ने नासमझी से पूछा, “कैसे?”
“वैसे तो ये तैय्यार ही लगता है,” निराली ने कहा. “पर आप थोड़ी देर इसका लंड चूस देंगी तो ये आपको पूरा मज़ा देगा.”
इस बार दीपिका को उसकी भाषा पर तो अचम्भा नहीं हुआ पर वो जो करने के लिए कह रही थी उस पर उन्हें हिकारत महसूस हुई. पंकज के बहुत इसरार करने पर उन्होंने एक-दो बार यह करने का प्रयास किया था पर उन्हें यह बिलकुल अच्छा नहीं लगा. उनकी यह धारणा बन चुकी थी कि जो मर्द औरत को यह काम करने के लिए कहते हैं वे उस औरत को जलील करना चाहते हैं!
लेकिन साथ ही उनको यह एहसास भी था कि शम्भू ने मुखमैथुन के द्वारा ही उनको चरमसुख दिया था इसलिए उनको भी इसका प्रतिदान करना चाहिए. पर वे अपनी धारणा के कारण मजबूर थीं. उन्होंने धीमी आवाज में उत्तर दिया, “निराली, यह मेरे से नहीं होगा.”
“क्यों नहीं होगा, बीवीजी?” निराली ने पूछा. “आप बाबूजी का भी तो चूसती होंगी.”
“नहीं,” उन्होंने जवाब दिया.
“अच्छा? बाबूजी आपसे नहीं चुस्वाते?” निराली ने आश्चर्य से कहा. “पर मैंने तो उनका लंड चूसा था और उन्हें बहुत अच्छा लगा था. आप ज़रा कोशिश तो कीजिये.”
“नहीं निराली, मेरे से नहीं होगा,” उन्होंने फिर इंकार में कहा.
“रहने दे, निराली,” इस बार शम्भू बोला. “मेमसाहब बड़े घर की औरत हैं. ये मेरे जैसे छोटे आदमी का लंड अपने मुंह में कैसे ले सकती हैं!” shadishuda mard vasna xnxx stories
“यह बात नहीं है, शम्भू,” दीपिका ने फ़ौरन उसकी बात काटी. “मुझे सच में यह अच्छा नहीं लगता … मेरा मतलब है किसी का भी चूसना.”
“पर बीवीजी, मुझे तो लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है,” निराली ने कहा. “पता नहीं आपको अच्छा क्यों नहीं लगता!”
“अब छोड़ न निराली,” शम्भू ने कहा. “ज़रा तू ही चूस दे.”
निराली उठ कर शम्भू की जाँघों पर बैठ गई. उसने अपना सर झुकाया. शम्भू का लंड किसी डंडे की तरह तन कर खड़ा हुआ था. दीपिका पहली बार उसके खड़े लंड को देख रही थीं. बड़ा तंदरुस्त और सुडौल लंड था, पंकज के लंड से कम से कम दो इंच लम्बा और गोलाई में भी बड़ा. उन्होंने सोचा कि इस मूसल को मुंह में लेने से वे भले ही बच गईं पर उन्हें इस को अपनी योनी में तो लेना ही होगा. और उन्हें यह कोई आसान काम नहीं लग रहा था.
निराली ने एक हाथ से शम्भू के लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से लंड की टोपी को पीछे कर के उसके सुपाड़े को नंगा कर दिया. सुपाड़ा बहुत चिकना दिख रहा था. निराली उसे अपनी जीभ से चाटने लगी. उसकी लपलपाती जीभ सुपाडे के चारों ओर घूम रही थी, कभी नीचे, कभी ऊपर, कभी बांयें तो कभी दायें. शम्भू को शायद अपने लंड पर निराली की जीभ का फिसलना बहुत अच्छा लग रहा था. उसके मुंह से सिस्कारियां निकल रही थीं.
दीपिका निराली के कृत्य के अलावा उसकी मुखमुद्रा को आश्चर्य से देख रही थीं. वो बड़ी आनंदमग्न दिख रही थी. कुछ देर सुपाडे को चाटने के बाद निराली ने अपना मुंह खोला और पूरे सुपाडे को अपने मुंह में ले लिया. उसके होंठ लंड पर भिंच गए. वह अपने सर को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगी. शम्भू के नितम्ब भी हौले-हौले ऊपर उठने लगे.
दीपिका ने आश्चर्य से देखा कि कुछ ही देर में शम्भू का समूचा लंड निराली के मुंह में समा गया. निराली अपना सर ऊपर नीचे करने लगी तो शम्भू मज़े से सीत्कार कर उठा. अब वो पूरी तरह निराली के वश में दिख रहा था. तभी निराली की नज़र उनकी नज़रों से मिली. उसकी गर्वीली आंखें मानो कह रही थीं, ‘देखो, यह ताक़तवर मर्द अब मेरे काबू में है!’ यह देख कर दीपिका को निराली से ईर्ष्या होने लगी. उन्होंने मन ही मन सोचा ‘काश, मैं भी यह कर पाती.’
निराली ने शायद उनके मन की बात पढ़ ली. उसने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर उनसे पूछा, “बीवीजी, अब आप कोशिश करेंगी?”
दीपिका को निराली की बात एक चुनौती जैसी लगी. उन्होंने सोचा कि अगर निराली जैसी अनपढ़ औरत इस तरह मर्द पर काबू कर सकती है तो वे क्यों नहीं! वे इंकार नहीं कर सकीं. वे बैठ कर शम्भू के लंड की ओर झुकीं. निराली ने उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा समझाया. अपनी उंगली को लंड का प्रतीक बना कर उसने दिखाया कि इसे कैसे चाटना और चूसना है. उसे देखते हुए दीपिका ने शम्भू का लंड अपने हाथ में लिया और उसे चाटने लगीं. उन्हे उसका जायका कोई खास बुरा नहीं लगा. कुछ ही देर में उन्होंने लंड का सुपाड़ा अपने मुंह में लेने की कोशिश की. shadishuda mard vasna xnxx stories
इतने बड़े सुपाड़े को मुँह के अंदर लेने में उन्हें मुश्किल तो हुई पर उन्होंने हार नहीं मानी क्योंकि यह उनकी इज्ज़त का सवाल बन गया था. पूरा सुपाड़ा उनके मुंह में चला गया तो उन्होने निराली की ओर विजयी दृष्टि से देखा. निराली ने भी आँखों ही आँखों उनकी प्रशंसा की. दीपिका अपनी मनोदशा से चकित भी थीं.
वे सोच रही थीं कि कल तक जिस पुरुष के साथ यौनाचरण करना उन्हें अपनी बेईज्ज़ती लग रही थी आज उसी के लंड को मुंह में लेना उन्हे गर्व की अनुभूति दे रहा है (अब उन्हें ‘लंड’ जैसा शब्द भी वर्जनीय नहीं लग रहा था). निराली की सलाह पर उन्होंने अपनी जीभ को सुपाड़े के गिर्द घुमाना शुरू कर दिया. इसका तुरंत असर हुआ और शम्भू के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
उस गुंडे से चुदते हुए दीपिका को इतना आनंद मिलेगा वो उसने सोचा नहीं था. अब तो मेरी बीवी मस्ती से उसका काला लौड़ा चूसे जा रही थी.. ये मैंने क्या कर दिया? इस saxy story का आखिरी भाग जल्द ही..
दीपिका अपनी मनोदशा से चकित भी थीं. वे सोच रही थीं कि कल तक जिस पुरुष के साथ यौनाचरण करना उन्हें अपनी बेईज्ज़ती लग रही थी आज उसी के लंड को मुंह में लेना उन्हे गर्व की अनुभूति दे रहा है (अब उन्हें ‘लंड’ जैसा शब्द भी वर्जनीय नहीं लग रहा था). निराली की सलाह पर उन्होंने अपनी जीभ को सुपाड़े के गिर्द घुमाना शुरू कर दिया. इसका तुरंत असर हुआ और शम्भू के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
धीरे-धीरे उन्होंने अपने मुख को नीचे धकेला और वे आधा लंड अपने मुंह में लेने में सफल हो गयीं. वे उसे आम की गुठली की तरह चूसने लगीं. अब उन्हें लंड का जायका भी रास आ रहा था. यह सिलसिला चलता रहा और शम्भू लंड-चुसाई का मज़ा लेता रहा. वो समय आने में देर न लगी जब शम्भू झड़ने के कगार पर पहुँच गया. उसने किसी तरह दीपिका के हठीले मुंह को अपने लंड से दूर धकेला और हाँफते हुए उनसे गुज़ारिश की, “बस मेमसाहब, अब चोदने दीजिये.”
दीपिका ने जब पहली बार शम्भू का लंड देखा था तब वे उसके साइज से डर गयी थीं पर अब उनकी कामोत्तेजना इतनी तीव्र हो चुकी थी कि वे चुदने के लिए अधीर थीं. उन्होंने अपनी आँखों से शम्भू को मौन निमन्त्रण दिया. शम्भू ने उन्हें पीठ के बल लिटा दिया. वो उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया. उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे दीपिका की जांघों के बीच फिराया. लंड चूत की फांकों को सहलाते हुए चूत के मुहाने पर आया पर वहां थोड़ी छेड़खानी करने के बाद क्लाइटोरिस पर पहुँच गया.
शम्भू ने थोड़ी देर सुपाडे से क्लाइटोरिस को मसला और फिर उसे चूत के द्वार पर पहुंचा दिया. इस बार उसकी चूत के साथ छेड़छाड़ कुछ लम्बी चली. चूत अनवरत पानी छोड़ कर लंड का प्रवेश सुगम बना रही थी पर लंड था कि टालमटोल किये जा रहा था. अनुभवी शम्भू अपनी चेष्टा से दीपिका को कामावेग के शिखर पर ले गया था. इस बार जब उसने लंड को चूत से हटाया तो दीपिका बेसाख्ता बोल उठीं, “ऐसे क्यों तरसा रहे हो? अब घुसा भी दो.” shadishuda mard vasna xnxx stories
चालाक शम्भू ने लंड को उनकी गांड से सटा कर पूछा, “कहाँ, मेमसाहब?”
दीपिका को अपनी गांड पर चिकने और गीले लंड का स्पर्श सुहावना लग रहा था पर वे कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं. उन्होंने फ़ौरन उत्तर दिया, “मेरी चूत में!” और यह कह कर वे शर्मा गईं.
चुदाई में उस्ताद शम्भू ने भांप लिया था कि गीली होने के बावजूद दीपिका की संकड़ी चूत उसका लंड आसानी से नहीं ले पाएगी. उसने अपने हाथ से लंड पर अच्छी तरह थूक लगाया. फिर उसने झुक कर अपने मुंह से सीधे चूत पर थूक टपकाया. एक ऊँगली से थूक को चूत के अन्दर तक पहुँचा कर वो दीपिका के ऊपर लेट गया.
उसने अपनी उँगलियों से उनकी जांघों को टटोल कर अपना निशाना ढूंढा और अपने लंड को निशाने पर रख दिया. उसने अपने कूल्हों को हौले से आगे धकेला. दीपिका के मुँह से एक सिसकारी निकल गई पर लंड को अभी प्रवेश नहीं मिला था. शम्भू ने कहा, “मेमसाहब, आपकी चूत बड़ी संकड़ी है! आपको थोडा दर्द हो सकता है.”
“कोई बात नहीं,” दीपिका ने हौसला दिखाया. “तुम घुसाओ.”
शम्भू ने अपना मुँह उनके होठों पर रख दिया. कुछ देर वो उनके होंठों को चूमता रहा और फिर अचानक उसने पूरी ताक़त से एक धक्का मारा. उसका फौलादी लंड अपना निशाना भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया. दीपिका का मुंह शम्भू के मुंह से छिटका और उससे एक लम्बी ‘उईई…!’ निकल गई. साथ ही उनका शरीर बेसाख्ता लरज़ उठा. निराली ने शम्भू को लताड़ा, “ये क्या कर दिया, ज़ालिम! बीबीजी को दर्द हो रहा है!”
शम्भू अपना लंड बाहर खींच पाता उससे पहले दीपिका ने उसकी कमर को अपने हाथों से थामा और कहा, “नहीं शम्भू, बाहर मत निकालना. मैं ठीक हूँ.” उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई थी पर वे हार मानने को तैयार नहीं थी. उन्हें लगा कि जिस लंड को निराली रोज़ झेलती थी उसे वे नहीं झेल पायीं तो उनकी हार हो जाएगी.
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शम्भू बहुत खुश था. जिस चूत को हासिल करने के सपने वो कई दिन से देख रहा था वो अब उसके कब्जे में थी. और अपने लंड पर उस टाईट चूत की कसावट उसे बहुत मज़ेदार लग रही थी. अब उसे कोई जल्दी नहीं थी. कुछ देर वो बिना हिले दीपिका के होंठों का रस पीता रहा. जब दीपिका का दर्द दूर हो गया तब उन्होंने अपनी कमर को हरक़त दी. शम्भू उनके इशारे को समझ गया. चुदाई-कला में एक्सपर्ट तो वो था ही. अब वो उन्हें पूरी महारत से चोदने लगा.
उसके मोटे लंड ने दीपिका की कसी हुई चूत को फैला दिया था और अब लंड का आवागमन बेरोकटोक हो रहा था. शम्भू ने धीरे-धीरे अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. दीपिका ने अपनी टांगों से शम्भू की कमर को भींच रखा था. दर्द की जगह अब मस्ती ने ले ली थी और वे अब शम्भू के धक्कों का लुत्फ़ ले रही थीं. उनकी आँखें बंद थीं. कुछ देर बाद उनकी साँसें बेतरतीब हो गईं. चुदते हुए उन के मुँह से बराबर ‘ऊंsssऊं…! ओह…! आहsss…!’ की ध्वनि निकल रही थीं.
निराली जान गई थी कि दीपिका चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं पर उन्हें छेड़ने के लिए उसने पूछा, “दर्द हो रहा है क्या, बीवीजी? इसे निकालने के लिए कहूं?”
“नहीं,” दीपिका ने सिसकारियों के बीच जवाब दिया.
“कैसा लग रहा है अब?” निराली ने फिर पूछा.
“बहुत अच्छा लग रहा है,” दीपिका ने कहा. अब उतेजनावश उनके नितम्ब उछलने लगे थे. उनकी सक्रिय भागीदारी से शम्भू और भी खुश हो गया. वो पूरी तबीयत से धक्के लगाने लगा. दीपिका उसकी ताल से ताल मिला कर उसके पुरजोर धक्कों का जवाब दे रही थीं.
निराली को पंकज बाबू की एक बात याद आई. उन्होंने कहा था कि बीवीजी सिर्फ नीचे लेटती हैं, बाकी सब उन्हें ही करना पड़ता है. उसने सोचा कि क्यों न आज इनसे कुछ नया करवाया जाए! उसने शम्भू से कहा, “ज़रा रुक तो. तू ही ऊपर चढ़ा रहेगा या बीवीजी को भी ऊपर आने देगा?”
“ओह, मैं तो भूल ही गया था,” शम्भू ने रुक कर अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.
“नहीं,” दीपिका ने अपनी चूत को भींचते हुए कहा. “ऐसे ही ठीक है.”
चूत की पकड़ मजबूत होने के कारण शम्भू का लंड अंदर ही फंसा रहा पर वो निराली की बात से सहमत था. वो जानता था कि जब दीपिका उसके ऊपर होंगी तो वो चुदाई का मज़ा लेने के साथ-साथ उनके हुस्न का पूरा नज़ारा भी देख सकेगा. वो बोला, “निराली ठीक कहती है, मेमसाहब. आपको भी तो अपने सेवक सवारी करनी चाहिए.”
वो उनके ऊपर से उतर कर पलंग पर लेट गया. उसने दीपिका का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने ऊपर खींचा. दीपिका लजाते हुए उसके ऊपर आ गईं. उन्होंने उसके लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत को उस पर टिकाया. उन्होंने अपनी चूत को धीरे-धीरे नीचे धकेला. कुछ ही पलों में उन्होंने पूरा लंड अपने अंदर ले लिया. उन्होंने विजयी दृष्टि से निराली की ओर देखा तो निराली ने कहा, “बीवीजी, अब आपको जैसे धक्के पसंद हैं, वैसे लगा सकती हैं.”
ज़िन्दगी में पहली बार चुदाई की कमान दीपिका के हाथ में आई थी. उन्होंने हलके धक्कों से शुरुआत की. जब उनका आत्मविश्वास बढा तो उनके धक्कों में और ताक़त आने लगी. शम्भू ने उनकी कमर को अपने हाथों से थामा और वो भी उनका साथ देने लगा. उसकी नज़रें उनके फुदकते जिस्म पर जमी हुई थी.
वो अपनी किस्मत पर इतरा रहा था कि आज उसे ऐसी हसीन औरत को चोदने का मौका मिला था. साथ ही वो उनकी कसी हुई चूत का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था. लुत्फ़ दीपिका भी उठा रही थीं. वे जान गयी थीं कि चुदाई का मज़ा पुरुष की शक्ल-सूरत पर नहीं बल्कि उसके काम-कौशल और उसके लंड की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है. और शम्भू इन सब का स्वामी था. वे एक बार तो चुदने से पहले ही झड़ चुकी थीं और अब दूसरी बार झड़ने के कगार पर थीं.
शम्भू नीचे से अपनी ताक़तवर रानों से दीपिका की चूत में पुरजोर धक्के मार रहा था. उसने उनकी कमर को कस के पकड़ लिया था ताकि लंड चूत से बाहर न निकल जाए. दीपिका के गले से अजीब आवाजें निकल रही थीं. शम्भू उनके चेहरे के बदलते नक्श देख कर भांप गया था कि वे अब अपनी मंजिल के नज़दीक थीं. उसने उन्हे चोदने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी.
दीपिका अब पूरी दुनिया से बेखबर थीं. उनकी आँखें बंद थी, सांसें उखड रही थीं और जिस्म बेकाबू था. उनका पूरा ध्यान अब उन मदमस्त तरंगों पर केन्द्रित था जो एक के बाद एक उनकी चूत से उठ रही थीं. निराली ने उनसे पूछा, ‘बीवीजी, ये ठीक तरह से चोद रहा है कि नहीं?’
दीपिका बरबस बोल उठीं, “बहुत अच्छी तरह चोद रहा है, निराली … बहुत अच्छी तरह!”
और इन शब्दों के साथ ही उनका शरीर अकड़ने लगा. उनकी तनावग्रस्त चूत फड़कने लगी. शम्भू उनको चोदते हुए बोला, “निकाल दीजिये, मेमसाहब! निकाल दीजिये अपनी चूत का पानी!”
और वही हुआ. दीपिका बड़े जोर से उसके लंड पर झड़ीं. और ऐसे झड़ीं कि वे अपनी सुधबुध खो बैठीं. उन्हें ब्रह्माण्ड अपने चारों तरफ घूमता हुआ प्रतीत हुआ. उन्हें पता ही नहीं चला कि वे कब आनन्द के अतिरेक में शम्भू के ऊपर गिर गईं.
जब दीपिका की चेतना लौटी तब उन्होंने देखा कि उनकी बाँहें शम्भू के गिर्द कसी हुई थीं, शम्भू अपने हाथों से उनकी पीठ और नितम्बों को सहला रहा था. उसका लंड अब भी उनकी अलसाई चूत में तना हुआ खड़ा था. शम्भू ने उनकी आँखों में देखते हुए पूछा, “मज़ा आया, मेमसाहब?”
“हां शम्भू, बहुत मज़ा आया,” उन्होंने बेझिझक कहा. “पर तुम्हारा अभी नहीं हुआ?”
“अब ज्यादा देर नहीं है,” शम्भू ने जवाब दिया. “अगर आप मुझे दो मिनट और चोदने दें तो मेरा भी हो जाएगा.”
“ठीक है,” उन्होंने कहा. “तुम मुझे अपने नीचे ले कर चोद लो!”
दीपिका शम्भू के ऊपर से उतर कर चित लेट गईं. इस बार शम्भू ने देर नहीं की. वह जानता था कि उनकी चूत तैय्यार है. वह उनके ऊपर सवार हो गया. उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से चुदाई शुरू कर दी. निराली ने ताकीद की, “देख, प्रेम से लेना और ज्यादा देर न लगाना.”
उसे जवाब दीपिका ने दिया, “कोई जल्दी नहीं है, निराली. इसे जी भर कर लेने दे.” उन्हें फिर से मज़ा आने लगा था.
मज़ा शम्भू को भी आ रहा था और वो वास्तव में दीपिका की चूत बहुत प्रेम से ले रहा था. धीरे-धीरे उसका मज़ा बढ़ा तो उसके धक्कों ने रफ़्तार पकड़ ली. दीपिका भी उसी लय में अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगीं. उनके गले से फिर मस्ती भरी आहें और सिसकियां निकल रही थीं. निराली विस्मय से उन्हें देख रही थी. अब उसे वे एक बड़े घर की शालीन स्त्री नहीं बल्कि खुद जैसी आम औरत दिख रही थीं, ऐसी औरत जो खुल कर चुदाई का मज़ा लेती है.
निराली यह भी देख रही थी कि शम्भू उन्हें पूरी मस्ती से चोद रहा था. हर धक्के के साथ उसके चूतड़ संकुचित हो रहे थे. उसने दीपिका के कन्धों को कस के पकड़ रखा था ताकि वे उसकी गिरफ्त से निकल न जाएँ. उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत में प्रहार कर रहा था. कुछ देर बाद उसके गले से गुर्राने जैसी आवाज निकलने लगी. दीपिका को लगा कि अब वो झड़ने वाला था. वे खुद भी फिर से झड़ने को आतुर थीं. तभी गुर्राहट के बीच शम्भू बोला, “मेमसाहब, मेरा निकलने वाला है … आsssह!”
यह सुन कर दीपिका की चूत स्वतः ही लंड पर भिंच गई और उनके नितम्ब बेकाबू हो कर उछलने लगे. शम्भू भी अब धुआंधार धक्के मार रहा था. दोनों दुनिया से बेखबर थे. दोनों का ध्यान अब सिर्फ उनके संधि-स्थल पर केन्द्रित था जहां लंड और चूत एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में जुटे थे. कोई हार मानने को तैयार न था और इस मुकाबले में किसी की हार होनी भी न थी. एक मिनट की घमासान टक्कर के बाद शम्भू किसी जख्मी शेर की तरह गुर्राया.
उसका जिस्म अकड़ गया और उसका लंड दीपिका की चूत में दनादन पिचकारियां मारने लगा. जब पहली बौछार चूत में पड़ी तो दीपिका का शरीर भी तन गया. उनकी कमर ऊपर उठ गई. तीव्र सिसकारियों के बीच उनकी चूत भी पानी छोड़ने लगी. लंड से पानी की आखिरी बूँद निकलने के बाद शम्भू दीपिका के ऊपर बेसुध हो कर गिर पड़ा.
थोड़ी देर बाद जब शम्भू की सांसें सामान्य हुईं तो वो दीपिका के ऊपर से उतरा और उनके पास लेट गया. दीपिका ने उसकी तरफ करवट ले कर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया. शम्भू के दूसरी तरफ लेट कर निराली ने भी यही किया. दीपिका ने अपना हाथ निराली के हाथ पर रखा और उससे नज़रें मिला कर वे कृतज्ञता से मुस्कुराई.
जिस अभूतपूर्व आनन्द का उन्होंने आज अनुभव किया था उसका श्रेय वे शम्भू के साथ-साथ निराली को भी दे रही थीं. वे सोच रही थीं कि उनके पति के सामने निराली ने वो अजीब शर्त न रखी होती तो वे इस आनंद से वंचित रह जातीं. अपने खयालों में डूबी वे न जाने कब नींद की गोद में चली गयी.
दीपिका को अपने सीने पर एक गीले स्पर्श का अनुभव हुआ. वे गहरी नींद में डूबी इस मीठे सपने का आनन्द ले रही थीं. स्पर्श एक गीली जीभ का था जो उनके निप्पल से कामुक छेड़छाड़ कर रही थी. जब उन्हें अपने दूसरे स्तन पर एक मुट्ठी का दबाव महसूस हुआ तो उनकी आँखें खुलीं. उन्होंने पाया कि ये सपना नहीं था. शम्भू ने उनके एक उरोज पर अपने हाथ से और दूसरे पर अपने मुंह से कब्ज़ा किया हुआ था. पता नहीं यह कब से चल रहा था.
दीपिका का तन उनके वश में नहीं था. शम्भू अपने काम-कौशल से उनकी वासना को भड़का चुका था. तभी उनकी अधखुली आंखें खिड़की पर पड़ीं. परदे से छन कर हल्का प्रकाश अन्दर आ रहा था. उन्होंने अपनी घडी पर नज़र डाली. पांच बजने वाले थे. गर्मी के मौसम में सुबह पांच बजे थोड़ी आवाजाही शुरू हो जाती है. उनका अचेतन मन उन्हें यहां रुकने को कह रहा था ताकि वे बीती रात वाला मज़ा फिर से ले सकें. पर उनका मष्तिष्क कह रहा था कि अब एक मिनट भी रुकना ठीक नहीं था. उन्होंने मष्तिष्क की बात मानी और शम्भू को धकेलते हुए कहा, “नहीं शम्भू, अब मुझे जाना होगा.”
शम्भू जैसे आसमान से गिरा. उसने याचनापूर्ण स्वर में कहा, “मेमसाहब, बस एक बार और चोद लेने दीजिये! आप थोड़ी देर और रुक जायेंगी तो क्या बिगड़ जाएगा?”
“सुबह हो रही है, शम्भू.” दीपिका अब पूरे होश में थीं. उन्होंने निराली से कहा, “निराली, इसे समझाओ कि किसी ने जाते हुए मुझे पहचान लिया तो ठीक नहीं होगा.”
शम्भू यह सुन कर रुआंसा सा हो गया. वो अटकता हुआ बोला, “मेमसाहब, मुझे आप जैसी अप्सरा फिर कभी नहीं मिलेगी. अगर एक बार और आपकी कृपा हो जाये …”
“तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो,” दीपिका ने कहा. “तुम्हारा जब मन करे, निराली से कहला भेजना. मैं आ जाऊंगी.”
शम्भू को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. उसने आश्चर्य से पूछा, “क्या? आप सच में आ जायेंगी?”
“हाँ, जब तुम चाहोगे.” दीपिका स्वयं आश्चर्यचकित थीं कि उन्होंने ऐसा किस तरह कह दिया. बहरहाल शम्भू उनकी बात सुन कर खुश हो गया.
“मेमसाहब, आप भी बाबूजी को कह देना कि वे जब चाहें तब निराली को चोद सकते हैं.” शम्भू ने कहा. “निराली ने तो पहले ही उनसे अदला-बदली की बात की थी.”
कुछ मिनट बाद दीपिका निराली के साथ बाहर निकलीं और अपने घर की तरफ चल दीं. चलते-चलते उनका दिमाग स्वतः ही पिछले कुछ घंटों में घटी घटनाओं पर जा रहा था. वे सोच रही थीं कि फिर से आने की बात कह कर उन्होंने कुछ गलती तो नहीं कर दी! उनके मन ने उनसे कहा, “तुम्हारे पति ने निराली के साथ जो किया, वो सिर्फ अपनी वासना की पूर्ती के लिए किया. उन्होंने तुम्हारी भावनाओं के बारे में एक बार भी सोचा? और शम्भू वो फिल्म न बनाता तो क्या होता? पंकज तुम्हे बताते कि उन्होंने निराली के साथ क्या किया था?
अगर शम्भू को एतराज़ न होता तो वे निराली को फिर से भोगने का कोई मौका छोड़ते? वे तुम्हे शम्भू के पास भेजने के लिए तैयार हुए तो खुद को बचाने के लिए. वे तो अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारी बलि चढ़ा रहे थे. अब शम्भू औरत को मज़ा देने में माहिर निकला तो इसका श्रेय तुम्हारे पति को नहीं जाता! तुम्हारा पति तो सजा के काबिल है जो उसे तुम ही दे सकती हो. …
और हां, शम्भू ने अदला-बदली की बात की थी ना. अदला-बदली में क्या होता है? किसी ने तुम्हे कुछ दिया है वो उसे लौटाना. तुम्हारे पति ने तुम्हे दी है बेवफाई, सिर्फ अपने मज़े के लिए. अब यही तुम्हे लौटानी है, ब्याज के साथ. तुम्हारा लौटाना तो अभी शुरू हुआ है!”
ये सब सोचते-सोचते उनका घर आ गया. निराली उन्हें पहुंचा कर वापस चली गई. पंकज बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे. उनकी रात करवटें बदलते गुजरी थी. रात भर वे यही सोचते रहे थे कि लम्पट शम्भू उनकी पत्नी की कैसी दुर्गति कर रहा होगा! दीपिका के घर पहुँचते ही उन्होंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया. उन्होंने व्यग्रता से पूछा, “तुम ठीक तो हो?”
दीपिका ने शांत स्वर में उत्तर दिया, “हां, मुझे भला क्या होगा?”
पंकज ने पूछा, “मैं कह रहा था कि वो तुम्हारे साथ सख्ती से तो पेश नहीं आया?”
“अब ऐसे काम में मर्द का सख्त होना तो जरूरी होता है,” दीपिका ने कहा.
पंकज के समझ में नहीं आया कि दीपिका क्या कहना चाहती थी. उन्होंने फिर पूछा, “मेरा मतलब था कि उसने तुम्हे चोट तो नहीं पहुंचाई?”
दीपिका ने सोचा, ‘इन्हें मेरी शारीरिक चोट की तो इतनी फ़िक्र है पर निराली का मज़े लेने से पहले इन्होने मेरी मानसिक चोट के बारे में सोचा था? अब इन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है.’ उन्होंने कहा, “अगर यह काम स्त्री कि सहमति से किया जाए तो मर्द उसे चोट नहीं पहुंचा सकता, फिर चाहे वो शम्भू जैसा मुश्टंडा ही क्यों न हो!”
“भगवान का शुक्र है कि तुम ठीक हो … और यह मामला सुलझ गया है!” पंकज ने कहा. वे मन ही मन खुश थे कि वे खुद दुर्गति से बच गए थे.
“सुनो जी, वे लोग कह रहे थे कि निराली ने तुम से अदला-बदली जारी रखने की बात की थी!” दीपिका ने पत्ता फेंका.
“हां, पर मैंने उसी वक़्त मना कर दिया था.” पंकज थोड़े चिंचित थे कि यह बातचीत किसी ग़लत दिशा में न चली जाये!
“पर शम्भू का बहुत मन है,” दीपिका ने बाज़ी को आगे बढाया. “बेचारा गिड़गिड़ा रहा था कि यह काम आगे भी चलता रहना चाहिए. मुझे तो उस पर दया आ रही थी.”
“क्या?” पंकज ने अचम्भे से कहा. उन्हें यह कतई गवारा नहीं था कि शम्भू जैसा बदमाश उनकी पत्नी का मज़ा लूटे! … एक बार तो चलो मजबूरी थी, पर बार बार? … फिर उन्हें खयाल आया कि बात अदला-बदली की हो रही है! अगर अपनी पत्नी के बदले में उन्हें निराली मिल जाये तो कैसा रहेगा? एक तरफ पुरानी पत्नी और दूसरी तरफ नई निराली! … उनका मन डोलने लगा! … आखिर जीत पुरुष की कमज़ोरी की हुई; परायी स्त्री का आकर्षण होता ही ऐसा है! उन्होंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए पूछा, “तो तुमने हां कर दी?”
“उस बेचारे की हालत देख कर मेरा दिल पिघल गया,” दीपिका ने कहा. “मैंने उसे कह दिया कि जब उसका मन करे, वो निराली को बता दे. मैं कल रात की तरह उनके घर चली जाऊंगी. ठीक किया न मैंने?”
पंकज तपाक से बोले, “हां, इसमें क्या गलत है?”
“मुझे पता था कि तुम्हे भी शम्भू पर दया आएगी,” दीपिका ने आखिरी पत्ता फेंका. “मुझे सिर्फ एक बात का अफ़सोस है! पता नहीं क्यों तुमने भगवान की कसम खा ली कि तुम पराई स्त्री की तरफ देखोगे भी नहीं! निराली तो तुम्हारी इच्छा पूरी करने को तैयार है पर तुमसे भगवान की कसम तुड़वाने का पाप मैं नहीं करूंगी! अब तो शम्भू की ही इच्छा पूरी हो पायेगी.”
पंकज खुद को कोस रहे थे कि उन्हें इतनी ज्यादा एक्टिंग करने की क्या जरूरत थी? भगवान की कसम के बिना भी काम चल जाता. अब शम्भू के तो मज़े हो गए और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला.
———–समाप्त————
कैसी लगी ये saxy story आप लोगो? वैसे पंकज की चिंता मत कीजिये, दीपिका ने कुछ दिनों बाद उसे निराली का भोग करने दिया.. अब वो सब बड़े मज़े से चुदाईयां करते है..
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