गीता भाभी ने चोदना सिखाया

3.9/5 - (15 votes)

गीता भाभी ने चोदना सिखाया भाभी ने हंसते हुए कहा कि देवर जी, सारी साड़ी खराब कर दी ना! अब अपनी भाभी को नई साड़ी ला कर देना। पर कोई बात नहीं, अब तो मेरी साड़ी रोज़ खराब होनी है, क्योंकि जब तक तेरे भैया नहीं आ जाते, मैं तो तुमसे रोज़ चुदवाऊँगी, तुझे चुदाई में एक दम होशियार कर दूंगी।

दोस्तो, मैं पल्लव 32 साल का हूं और यह कहानी तब की है जब मैं 25 साल का था।

मैं दसवीं के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, पति-पत्नी, उनकी 5 लड़कियाँ, एक लड़का और बच्चों के दादा। बड़ी लड़की दसवीं में पढ़ती थी। आदमी दिल्ली में नौकरी करता था।

मुझे ट्यूशन पढ़ाते देख गीता भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया और कहा -मेरी बेटी की दसवीं की परीक्षा है, घर की हालत ठीक नहीं है, क्या आप उसको कभी कभार दस-बीस मिनट कभी भी शाम को या रात में थोड़ा पढ़ा देंगे?

मैंने कहा- हाँ! क्यों नहीं! कल से ही आ जाऊँगा।

दूसरे दिन फ़िर उसने मुझे कहा तो रात को मैं उनके घर चला गया, थोड़ी देर पढ़ाया और चला आया। फ़िर मैं रोज़ जाने लगा। पढ़ाई के समय गीता भाभी हमारे पास ही बैठती थी।

एक रात जब मैं पढ़ा रहा था तो गीता ने अपनी बेटी के सामने ही कहा- आप बहुत थक जाते होंगे, लाईये मैं आपके पैर दबा दूं!

पता नहीं क्यों मैं भी इन्कार ना कर सका और वो मेरे पैर दबाने लगी। मेरे शरीर में कुछ हलचल सी होने लगी। थोड़ी देर में मैं वहाँ से चला आया पर रात भर नींद नहीं आई क्योंकि पहली बार किसी औरत ने मेरे बदन को छुआ था।

अगले दिन से वो रोज़ मेरे पाँव दबाने लगी, पर उसका हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा। एक दिन वो जिद करके तेल लगाने लगी। उस समय मैं उसकी बेटी को बायोलोज़ी पढ़ा रहा था। अचानक वो मेरे लण्ड पर तेल लगाने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया। जब मैंने उसकी ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगी। जब मैंने आने लगा तो उसने कहा कि पेट दर्द की कोई दवाई हो तो देना।

करीब 9 बजे मैं दवाई देने गया तो दरवाज़ा खुला था, गीता के ससुर सोए हुए थे, मेर हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने कमरे में ले गई। बच्चे दूसरे कमरे में सोए हुए थे। उसने भीतर से दरवाज़ बन्द किया और तेल लेकर आई और बोली- उस समय ठीक से लगा नहीं पाई थी। वो तेल लगाने लगी पर कुछ देर बाद तेल के बहाने वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मेरा लण्ड तो पूरा खड़ा हो गया। मेरी सहनशक्ति समाप्त हो गई। मैंने उसे बाहों में कस कर जकड़ लिया और धीरे धीरे उसे बिछावन पर ले गया।

बिछावन पर जाते ही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं भी कुछ नहीं बोला। वो साली मेरा लण्ड खाने को बेताब थी ही। उसने सहलाते सहलाते मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। लण्ड चूसते हुए वो अपनी कमर भी ऊपर नीचे कर रही थी। मैं तो जैसे ज़न्नत में था। मेरे मुंह से ओह! भाभी और जोर से! ओह गीता ओह! मेरी रानी और तेज़! जैसे शब्द निकल रहे थे। उसकी कमर ऊपर नीचे होती देख मैंने पूछा- भाभी! यह क्या कर रही हो, तो उसने झट मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया। उससे पानी निकल रहा था।

अब उसने मेरी उंगली अपनी बुर में जोर से ठेल दी। उंगली घुसते ही उसने ज़ोर से ओह! कहा और बोला- देवर जी, एक उंगली और घुसा दो मेरी चूत में… और तेजी से अन्दर बाहर करो और मेरी बुर को चोदो।

मैंने पूछा- भाभी, क्या इसे ही चुदाई कहते हैं?

तब उसने कहा- देवर जी! तुम पढ़ाई में तो काफ़ी तेज़ हो पर चुदाई में निरे बुद्धू हो। यह तो तुम उंगली से चोद रहे हो, पर जब तुम अपना यह मोटा हथियार मेरी बुर में घुसाओगे तब होगी असली चुदाई। पर वो सब बाद में। अभी तो तुम 69 की अवस्था में हो कर उंगली ही अन्दर बाहर करो।

Gita bhabhi ne chodna sikhaya Hindi sex stories

मैं वैसा ही करने लगा जैसा भाभी ने बताया। वो सेक्स के जोश में गंदी गंदी बातें कहने लगी।

मैं पेल रहा था और वो कहती जा रही थी- जोर से और जोर से मेरे राज़ा! मेरे पति ने तो कभी ऐसे प्यार ही नहीं किया, साला सिर्फ़ लण्ड पर तेल मालिश करवाता है। जब लण्ड खड़ा होता तो मेरे गर्म ना होते हुए भी लण्ड मेरी बुर में घुसा देता है और अपना धात जल्दी ही गिरा कर सो जाता है। इस भौंसड़ी बुर ने भी छः कैलेण्डर निकाल दिए पर इसकी आग शान्त नहीं हुई। पर मेरे राज़ा तुम नादान हो, जैसा मैं कहती हूँ तुम वैसा करो, तुम चुदाई जल्दी ही सीख जाओगे। मैं तुम्हारा लण्ड चूस कर इस पर तेल लगा कर घोड़े जैसा बना दूंगी, फ़िर उस घुड़लण्ड से रोज़ चुदवाऊँगी।

इतना कह कर गीता भाभी ने फ़िर मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी अपनी उत्तेज़ना में उसकी बुर में अपनी तीन उंगली तेजी से घुसा निकाल रहा था, पर छः बच्चों के जन्म ने उसकी बुर का भौन्सड़ा बना दिया था। अतः उंगली कहाँ जाती, पता ही नहीं चलता। वो वाह रे मेरे राज़ा! तेजी से करो, जैसे शब्द कह कर शान्त पड़ गई, वो झड़ गई।

इतने में मैंने कहा- भाभी! मेरे भीतर से कुछ निकलने वाला है!

इतना सुन कर उसने मेरे लण्ड को मुंह से निकाला और हाथ से मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड से फ़व्वारा निकला और उस की साड़ी पर गिरा। उसने हंसते हुए कहा कि देवर जी, सारी साड़ी खराब कर दी ना! अब अपनी भाभी को नई साड़ी ला कर देना।

पर कोई बात नहीं, अब तो मेरी साड़ी रोज़ खराब होनी है, क्योंकि जब तक तेरे भैया नहीं आ जाते, मैं तो तुमसे रोज़ चुदवाऊँगी, तुझे चुदाई में एक दम होशियार कर दूंगी। पर उनके आने के बाद भी मुझे छोड़ना नहीं, उनका लण्ड तो पुराना हो गया है पर तेरा तो जवान है। मैं समय निकाल कर तुमसे जरूर चुदवाऊँगी।

इतना कह कर वो बाहर गई, पानी लाई और मेरा लण्ड साफ़ किया और फ़िर से मेरा लंड चूसने लगी। तो मैंने कहा- अभी जाने दो, कल आऊँगा।

उसने कहा- ठीक है! कल तुम्हें असली चुदाई सिखाऊँगी और मजा दूंगी।

Click the links to read more stories from the category पड़ोसी or similar stories about Indian sex storiesगैर मर्दचुदासचूत में उंगलीदेसी भाभी