रेशमा की मस्त चुदाई

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प्रेषक : राहुल प्रीतम

मैं वाराणसी, यू पी का रहने वाला हूं एवं मेरा नाम राज, उम्र बाईस साल है।

आज से चार साल पहले मैं अपने पड़ोस में एक परिवार के घर में आता जाता था। उस परिवार में पति, पत्नी और उनके चार बच्चे थे। पति मज़दूरी करता था। उसकी पत्नी का नाम रेशमा था, वो तीस साल की थी। धीरे धीरे मैं उनके घर ज्यादा आने जाने लगा। नैं उनकी छोटी बच्ची को खिलाता रहता था। रेशमा मुझे पसन्द करने लगी थी। मुझे भी वो अच्छी लगती थी। मैं रेशमा से बातें करते करते काफ़ी खुल चुका था और ओससे सेक्स के बारे में भी बातें करने लगा था।

एक दिन ऐसा हुआ कि रेशमा ने बाज़ार से कुछ सामान मंगवाने के लिए मुझे बुलाया, वह सन्दूक से पैसे निकालने लगी और मैं पलंग पर बैठ गया। अचानक रेशमा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं हक्का बक्का रह गया। उसने कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं। उस समय मैं कुछ नहीं बोला पर जब मैं सामान ले कर वापिस आया तो उसने मुझे फ़िर गले लगा लिया। इस बार मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया, पर कोई देख ना ले। इस डर से मैं उस समय वहां से चला गया।

हम सदा सेक्स करने के लिए मौका ढूंढते रहते थे। एक दिन हमें मौका मिल ही गया। हमारे घर मेरे दोस्त आए हुए थे इसलिए हम छत पर सोने के लिए गए। रेशमा भी छत पर सोने के लिए आ गई। उस समय उसका पति शहर से बाहर गया हुआ था। मैंने उसे इशारे से कह दिया- आज मैं आऊंगा। वह समझ गई। जब मेरे दोस्त सो गए तो मैं दीवार पार करके उसके पास गया। वो मेरा इन्तज़ार कर रही थी।

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मैं धीरे से उसकी चारपाई पर लेट गया। उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। वो मुझे जोर जोर से चूमने लगी। मैंने उसके होटों को अपने होटों में भर लिया और चूसने लगा। रेशमा भी पूरी मस्ती में थी। उसने मेरा लण्ड सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड पूरा तन चुका था। रेशमा ने मेरा लण्ड पैन्ट से बाहर निकाल लिया और मेरे लण्ड को देख कर कहा – मैं तो तुमको बच्चा समझती थी, तुम्हारा लण्ड तो पूरा जवान हो चुका है।

मैंने उसके कुर्ते को उतार दिया और उसके बूब्स चूसने लगा। रेशमा के मुंह से आह आ अह हा हा की आवाज़ निकलने लगी। उसने अपनी मस्ती में अपनी सलवार भी उतार दी। मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी और उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा। उसने चूत के बाल साफ़ किए हुए थे। उसका शरीर काफ़ी सुन्दर और फ़िट था। वो मुझे चूमते हुए बोली – नीरज़ ! मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है, जल्दी अपना लण्ड मेरी चूत में डालो। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मैं रेशमा के ऊपर हो गया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया। मैंने एक जोर का झटका मारा, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। रेशमा ने मेरी पीठ के ऊपर से हाथ डाल कर अपनी छाती से लगा लिया और बोली – और डालो ! मैंने एक और झटका मारा, अब मेरा पूरा लण्ड उसके अन्दर चला गया।

मैं अपनी कमर हिला कर लण्ड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा। रेशमा मज़े से अह्ह्हा आय हय आ आ ह कर रही थी। मैं उसकी चूत का पूर मज़ा ले रहा था, जिन्दगी में पहली बार किसी को चोद रहा था। 15 मिनट बाद मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। रेशमा एक बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला। धीरे धीरे चूत चोदता रहा, दो मिनट बाद मैं फ़िर से मस्ती में आ गया। दोबारा रेशमा को चोदने लगा।

रेशमा मुझसे बोली – जान बहुत मज़ा आ रहा है, जितनी जोर से चोदते हो उतना ज्यादा मज़ा आता है। यह कह कर वो अपनी कमर नीचे से जोर जोर से हिलाने लगी। रेशमा ने भी पहली बार चुदाई का इतना मज़ा लिया था क्योंकि उसका पति जल्दी ही स्खलित हो जाता था, रेशमा तरसती रह जाती थी। मैं धीरे धीरे उसको चोदता रहा। मैंने काफ़ी देर तक उसको चोदा और बहुत देर तक इकट्ठे लेटे रहे।

उसके बाद मैं वहां से उठ के अपनी छत पर चला गया।

यह है मेरी सच्ची कहानी।

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